करंट टॉपिक्स

जो सबको एकात्म भाव से देखता है, वही विद्वान है – रामदत्त जी

Spread the love

ग्वालियर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह रामदत्त चक्रधर जी ने कहा कि भारत के ऋषियों और मनीषियों ने यह कभी नहीं कहा कि कोई छोटा है या बड़ा है. उनकी दृष्टि में जाति का भी भेद नहीं था. आज भी विद्वान व्यक्ति कभी भी ऐसा विचार नहीं करता. इसी कारण जो सबको एकात्म भाव से देखता है, वही विद्वान है. वह राष्ट्रोत्थान न्यास के अंतर्गत विचार प्रवाह द्वारा संचालित अध्ययन एवं शोध केन्द्र के उद्घाटन कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे. इस अवसर पर मध्यभारत प्रांत संघचालक अशोक पांडेय, राष्ट्रोत्थान न्यास के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र बांदिल मंचासीन रहे.

सह सरकार्यवाह ने कहा कि भारत का अतीत गौरवशाली है, ऐसा ही भविष्य बनाने का संकल्प चाहिए. भारत जगद्गुरू रहा है, उस समय समाज में एकात्म भाव का प्रवाह था. वर्तमान में इसी भाव को समाज में जगाने की आवश्यकता है. कालांतर में सतत संघर्ष के बीच भारत ने कई प्रकार के उतार चढ़ाव भी देखे हैं. अंग्रेजों ने भारत की प्रज्ञा को समाप्त करने का प्रयास किया. इसके लिए उन्होंने पहले भारत की सामाजिक स्थिति का अध्ययन किया, और समाज की कमजोर कड़ी को मुख्य धारा से अलग कर दिया. आज भी देश में ऐसी शक्तियां सक्रिय हैं, जो समाज को विभाजित कर रही हैं. समाज को एकता के सूत्र में बांधने के लिए अध्ययन करने की आवश्यकता है. संघ इस कार्य को प्रारंभ से ही कर रहा है.

संघ के तृतीय सरसंघचालक बाला साहेब देवरस का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने ऊंच नीच के भेद को समाप्त करने का प्रारंभ अपने घर से ही किया. ऐसे ही अनेक महापुरुषों ने इस सामाजिक विकृति को समाप्त करने का कार्य किया. इसके लिए उन्होंने महात्मा ज्योतिबा फुले और बाबा साहब के उदाहरण दिए. जिन्होंने समाज को जगाने का कार्य किया.

उन्होंने कहा कि विरोधियों को हृदयंगम करने वाले व्यक्ति चाहिए. व्यवस्था बदलने के लिए लोगों का मानस बदलने की आवश्यकता है. यह बिना अध्ययन और शोध के नहीं हो सकता. जिस प्रकार अंग्रेजों ने यहां शासन करने से पहले भारत का गहराई से अध्ययन किया, वैसा ही हमको गहराई से अध्ययन करना होगा. आज जिस समाज को कमजोर कड़ी के रूप में बताया जाता है, उसे मजबूत कड़ी के रूप में खड़ा करना होगा. इसके लिए ही यह समरसता अध्ययन केन्द्र संचालित किया जा रहा है.

इसके पूर्व राष्ट्रोत्थान न्यास के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र बांदिल ने अध्ययन केन्द्र के उद्देश्य के बारे में कहा कि वर्तमान में समाज कई प्रकार के भ्रम का शिकार हो रहा है, इस भ्रम को दूर करने का कार्य यह अध्ययन केन्द्र करेगा. समाज में समरसता स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य करेगा. कार्यक्रम का संचालन डॉ. कुमार संजीव व आभार रमेश चंद सेन ने किया.

सह सरकार्यवाह रामदत्त जी ने राष्ट्रोत्थान न्यास स्थित हिन्दू गर्जना कार्यालय का अवलोकन भी किया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *