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सम्भल का दर्द

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मृत्युंजय दीक्षित

संसद के शीतकालीन सत्र में संविधान और संभल के नाम पर मुस्लिम तुष्टिकरण की रोटियां सेंक रहे विपक्ष को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश की विधानसभा से उत्तर दिया. अपने संबोधन में दिए तथ्यों व तर्कों से संभल की राजनीति का पेंडुलम हिन्दुत्व और सनातन की ओर मुड़ गया. अपने वक्तव्य में संविधान के नाम पर की जा रही राजनीति की वास्तविकता को पूरी तरह से उजागर कर दिया. संविधान की पुस्तक हाथ में लेकर घूमने वालों को एक ऐसा आइना दिखाया है कि अब उन्हें कोई उत्तर नहीं सूझ रहा है, सिवाय यह कहने के कि संभल में केवल मतों का ध्रुवीकरण करने का नाटक चल रहा है. मुख्यमंत्री ने कई ऐसे यक्ष प्रश्न उठाये, जिनसे विपक्ष के संविधान प्रेम की कलई खुल गई है.

मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों को रखते हुए बताया कि 2017 के बाद अब तक प्रदेश में दंगों में 97 से 99 प्रतिशत की कमी आई है. 2012 से 2017 तक के शासनकाल में 815 सांप्रदायिक दंगे हुए थे, जिनमें 192 लोगों की मौत हुई थी, 2007 से 2011 के बीच 616 सांप्रदायिक घटनाएं हुईं, जिनमें 121 लोग मारे गये. संभल में तुर्क व पठान मुसलमानों के बीच विवाद चल रहा है. सपा के पूर्व सांसद शफीकुर्रहमान वर्क स्वयं को भारत का नागरिक नहीं अपितु बाबर की संतान कहते थे. अतः आपको तय करना है कि आक्रांताओं को अपना आदर्श मानते हैं या राम, कृष्ण और बुद्ध की परंपरा को.

अल्पसंख्यक तुष्टिकरण करने वाले समाजवादी संविधान विशेषज्ञों से उन्होंने पूछा कि मुस्लिम बहुल मोहल्ले से शोभायात्रा क्यों नहीं निकल सकती? क्या यह बात संविधान में लिखी है कि जब कोई शोभायात्रा मस्जिद के समाने से निकले तो उस पर पत्थरबाजी की जाए. मोहर्रम हो या कोई भी मुस्लिम त्यौहार या जुलूस हिन्दू मोहल्ल्लों या मंदिरों के सामने से सुरक्षित निकलता है, कोई समस्या नहीं होती. जबकि यदि हिन्दू शोभायात्रा किसी मस्जिद के सामने या मुस्लिम बहुल क्षेत्र से निकलती है तो समस्या उत्पन्न हो जाती है. उन्होंने पहली बार सदन में 1978 में हिन्दुओं के विरुद्ध संभल में की गई नृशंस हिंसा के बारे में विस्तार से बताया कि किस प्रकार उन मुस्लिमों ने एक हिन्दू व्यवसायी जो हर समय मुसलमानों का सहयोग करते थे, उनको भाई की तरह मानते थे, की ही निर्ममता से हत्या कर दी थी. उस समय आपका कौन सा संविधान काम कर रहा था? विपक्षी दलों से बाबरनामा को पढ़ने की भी बात कही, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है हरिहर मंदिर को तोड़कर उसके ऊपर मस्जिदनुमा ढांचा बनाया गया है. संभल की शाही जामा मस्जिद हरिहर मंदिर है.

पुराणों का सन्दर्भ लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कल्कि अवतार संभल में ही होगा. बुलडोजर की चर्चा करते हुए कहा कि प्रदेश में जितनी भी कार्यवाही हो रही है, वह सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुरूप ही हो रही है. संभल में राजनीतिक पर्यटन करने वालों को साफ बता दिया कि अब बंदूक की नोक व दबाव की राजनीति के माध्यम से यूपी में अपनी बात कोई नहीं मनवा सकता. यह भी स्पष्ट कर दिया है कि संभल का एक भी पत्थरबाज बचेगा नहीं.

साथ ही स्पष्ट हो गया है कि आगामी दिनों में संभल के 1978 के दंगों की फाइल फिर खुलने जा रही है. कमिश्नर ने 1978 दंगों से जुड़ी सभी फाइलें अपने पास मंगवा ली हैं. तथ्य जन सामान्य के सामने आने पर संभल जैसी घटनाओं पर विकृत राजनीति करने वाले दलों की स्थिति ख़राब होने वाली है.

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