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आदर्श सार्वजनिक जीवन के मापदंडों पर खरा उतरने वाला व्यक्तित्व था मा.गो. वैद्य जी का – भय्याजी जोशी

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नागपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भय्याजी जोशी ने स्व. मा. गो. वैद्य जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि “आदर्श सार्वजनिक जीवन के जितने भी मापदंड होते हैं, उन सारे मापदंडों पर खरा उतरने वाला व्यक्तित्व था स्वर्गीय मा. गो. वैद्य जी का. हमारी गलतियां दिखाने वाला व्यक्ति आज हमारे बीच में नहीं है. सामाजिक जीवन में ऐसे व्यक्तियों की कमी कष्टदायक होती है.” सरकार्यवाह जी आज नागपुर में स्वर्गीय मा. गो. वैद्य जी की स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि सभा को संबोधित कर रहे थे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह एवं मा. गो. वैद्य जी के सुपुत्र डॉ. मनमोहन जी वैद्य, केंद्रीय मंत्री नितिन जी गडकरी, पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र जी फड़णवीस, वरिष्ठ पत्रकार ल. त्र्यं. जोशी, कवि कुलगुरु कालिदास विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉक्टर पंकज चांदे एवं अनेक गणमान्य उपस्थित थे.

भय्याजी जोशी ने कहा कि “वैद्य जी संघ से जुड़ी कई महत्वपूर्ण घटनाओं के साक्षी रहे हैं. वे अत्यंत विद्वान तो थे ही, लेकिन विद्वानों में सामान्यतः देखा जाने वाला रुखापन उनमें नहीं था. उनसे किसी भी विषय पर चर्चा करते समय उनके और मेरे बीच के आयु के अंतर को उन्होंने कभी भी अनुभव नहीं होने दिया. विभिन्न विचारधाराओं के व्यक्तियों से उनके अच्छे संबंध थे. दूसरों के विचारों को सुनने का लचीलापन उनमें था, साथ ही अपने विचारों से समझौता न करने की दृढ़ता भी उनमें थी.”

डॉ. मनमोहन जी ने कहा कि वे एक आदर्श पिता थे. संघ की सभी जिम्मेदारियां निभाते हुए वे अपने परिवार को भी पर्याप्त समय देते थे. नियमों के वे पक्के थे एवं स्वयं भी उनका पालन करते थे. 60 साल की उम्र में उन्होंने तरुण भारत के संपादक पद से स्वयं निवृत्ति ली. 1998 में जब वे 75 वर्ष के हुए, तब उन्होंने संघ के सारे दायित्व छोड़ दिए. उनका आर्थिक नियोजन भी सुव्यवस्थित होता था. साधन शुचिता के लिए भी वे आग्रही रहते थे. वे अत्यंत साहसी थे. जब मनमोहन जी ने प्रचारक जीवन का प्रारंभ किया तो उन्होंने मनमोहन जी को हमेशा पढ़ते रहने का सुझाव दिया था.

वैद्यजी को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन जी गडकरी ने कहा कि वैद्य जी का वर्णन अगर एक ही शब्द में करना है तो वो है Genius. वे जीनियस थे. एक आदर्श स्वयंसेवक के साथ साथ वे महान तत्व चिंतक भी थे. संघ विचारों में उनकी दृढ़ आस्था थी.

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र जी फड़णवीस ने कहा कि संघ द्वारा दिए गए हर दायित्व को वैद्य जी ने न केवल ठीक से पूरा किया, अपितु उस पर अपनी अमिट छाप भी छोड़ी. वे अत्यंत सहिष्णु थे. समय का वे हरदम पालन करते थे. ऐसे व्यक्तियों का पुनः होना मुश्किल है.

कार्यक्रम का सञ्चालन दयाशंकर जी तिवारी ने किया. विभिन्न संस्थाओं द्वारा स्व. वैद्य जी को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी.

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