हमारे लिए देश का सम्मान व देश की एकता सबसे पहले
गोरखपुर. चौरी-चौरा के शताब्दी महोत्सव का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअली शुभारंभ किया. वर्चुअली जुड़े प्रधानमंत्री ने चौरी-चौरा पर एक डाक टिकट भी जारी किया. उन्होंने रिमोट कंट्रोल से टिकट के प्रारूप का अनावरण किया.
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हमारे लिए देश की एकता सबसे पहले, देश का सम्मान सबसे बड़ा है. हर देशवासी को साथ लेकर आगे बढ़ना है. उन्होंने आह्वान किया कि पूरे साल एक बात न भूलें कि चौरी-चौरा के क्रांतिकारी देश लिए बलिदान हुए थे. उन्होंने बलिदान दिया, इसलिए आज हम स्वतंत्र हैं. अपने सपनों की आहुति दी. हमारे लिए मरने की नौबत तो नहीं है, लेकिन देश के लिए जीने का संकल्प अवश्य लें. उन्हें सौभाग्य मिला देश के लिए मरने का, हमें सौभाग्य मिला देश के लिए जीने का. यह अवसर हमारे लिए संकल्प, सपनों को पूरा करने, जन-जन के लिए जुट जाने का अवसर बनना चाहिए.
उन्होंने कहा कि सौ वर्ष पहले चौरी-चौरा की क्रांति ने जन-जन में आग प्रज्ज्वलित की थी. चौरी-चौरा का संदेश बहुत बड़ा था. अनेक वजहों से इसे सिर्फ एक आगजनी के स्वरूप में ही देखा गया. दुर्भाग्य है कि चौरी-चौरा के बलिदानियों की इतनी चर्चा नहीं हुई, जितनी होनी चाहिए थी. लेकिन यह एक स्वत: स्फूर्त संग्राम था. इतिहास के पन्नों में भले जगह नहीं दी गई. आजादी के स्वतंत्रता संग्राम में उनका खून देश की माटी में मिला हुआ है.
चौरी-चौरा शताब्दी वर्ष महोत्सव के शुभांरभ के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी की अगुवाई में 50 हजार लोगों ने एक साथ वंदेमातरम् गाकर विश्व रिकार्ड बनाया. मुख्यमंत्री समारोह स्थल पर सुबह पौने दस बजे ही पहुंच गए थे. आयोजन समिति की अध्यक्ष और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल लखनऊ से वर्चुअली समारोह से जुड़ीं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के 75वें वर्ष में ऐसे समारोह का होना इसे और भी प्रासंगिक बना देता है. चौरी-चौरा क्रांति से जुड़े लोग अलग-अलग गांवों और अलग-अलग पृष्ठभूमि के थे. लेकिन वे सब मिलकर मां भारती की संतान थे. स्वतंत्रता संग्राम में ऐसी कम ही घटनाएं हुई होंगी, जिसमें किसी एक घटना पर 19 स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया हो. अंग्रेज सरकार तो 172 लोगों को फांसी देने पर तुली थी, लेकिन बाबा राघव दास और महामना मालवीय जी के प्रयासों से 150 से अधिक लोगों को बचा लिया गया था. यह इन दोनों महापुरुषों को भी प्रणाम करने का अवसर है.
सामूहिकता है आत्मनिर्भर भारत का आधार
प्रधानमंत्री ने चौरी-चौरा महोत्सव के आयोजन को लोककला से जोड़ने के प्रयास पर मुख्यमंत्री व उनकी सरकारी की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि सामूहिकता की जिस शक्ति ने गुलामी की बेड़ियों को तोड़ा, वही शक्ति भारत को दुनिया की बड़ी ताकत भी बनाएगी. यही शक्ति आत्मनिर्भर भारत का मूल अभियान है. इस सामूहिकता से आज सिर्फ देश 130 करोड़ नागरिक आत्मनिर्भर नहीं बन रहे, बल्कि हम पूरे वैश्विक समाज की भलाई के लिए भी काम कर रहे हैं. हमने कोरोना काल में 125 देशों के लिए जरूरी दवाइयां भेजीं. अलग-अलग देशों से अपने नागरिकों को सुरक्षित वापस लाए. सैकड़ों दूसरे देशों के नागरिकों को सुरक्षित भेजा. भारत में विकसित देशों के मुकाबले भी ज्यादा तेजी से टीकाकरण किया जा रहा है. यही नहीं दुनिया के देशों को भी टीके दिए जा रहे हैं. आज यह सब देखकर स्वतंत्रता सेनानियों को गर्व की अनुभूति होती होगी.
किसान देश की अर्थव्यवस्था का आधार
उन्होंने कहा कि किसान देश की अर्थव्यवस्था का आधार रहा है. चौरी-चौरा आंदोलन में भी उनकी बड़ी भूमिका थी. पिछले छह वर्षों से सरकार उनकी स्थिति को बदलने के लिए लगातार प्रयासरत है. इसका परिणाम कोरोना काल में भी देखने को मिला. महामारी की चुनौतियों के बीच भी कृषि क्षेत्र आगे बढ़ा. किसानों ने रिकार्ड उत्पादन किया. किसान और सशक्त होगा और तेजी से आगे बढ़ेगा. देश में मंडियों को किसानों के फायदे का बाजार बनाने की कोशिश हो रही है. इस बजट में 1000 और मंडियों को ऑनलाइन जोड़ने का प्रावधान किया गया है. किसान अपनी फसल कहीं भी बेच सकेगा. ग्रामीण क्षेत्र में इंफरास्ट्रक्चर के विकास पर खर्च बढ़ाकर 40 हजार करोड़ कर दिया गया. सरकार किसान को आत्मनिर्भर और कृषि को लाभप्रद बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. प्रदेश में लागू पीएम स्वामित्व योजना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अब गांवों की जमीनों का एक-एक कागज उसके स्वामी को उपलब्ध कराया जा रहा है. जमीनों के सही कागज होंगे तो उनका मूल्य तो बढ़ेगा ही आसानी से कर्ज भी मिल जाएगा. आप कहीं भी रहें आपकी जमीन पर कोई बुरी दृष्टि नहीं डाल पाएगा. इसका बहुत बड़ा लाभ छोटे किसानों और गरीबों को होगा.