ओंकारेश्वर की पुण्य नगरी में जगतगुरु आदि शंकराचार्य जी (एकात्म की प्रतिमा) की 108 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा का अनावरण और “अद्वैत लोक” का शिलान्यास संपन्न हुआ. ओंकारेश्वर के मांधाता पर्वत पर आदि गुरु शंकराचार्य को समर्पित प्रतिमा देश में आदि शंकराचार्य की सबसे बड़ी प्रतिमा है जो उनके 12 वर्षीय बालस्वरूप में है.
अनावरण समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आचार्य भगवान आदि शंकराचार्य के कारण आज भारत और सनातन है, इसलिए आदि शंकराचार्य की यह विशाल प्रतिमा यहां स्थापित की गयी है. यह प्रतिमा पूरे भारत व विश्व को एकात्मता का संदेश देगी. भगवान राम ने भारत को उत्तर से दक्षिण तक जोड़ा, भगवान कृष्ण ने भारत को पूर्व से पश्चिम तक जोड़ा. लेकिन आदि शंकराचार्य ने भारत को पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण चारों तरफ से जोड़ा. आचार्य शंकराचार्य ने अद्वैत वेदांत के सिद्धांत का प्रचार-प्रसार किया.
उन्होंने कहा कि दुनिया में जितने भी द्वंद और वाद-विवाद हैं, उन सभी का समाधान अद्वैत वेदांत में है. युद्ध नहीं शांति, संघर्ष नहीं समन्वय, घृणा नहीं प्रेम का संदेश सिर्फ अद्वैत वेदांत ही दे सकता है. अद्वैत वेदांत की यात्रा भेद-अभेद की यात्रा है. अपना भारत विश्व कल्याण की मंगल कामना करने वाला देश है. मुख्यमंत्री ने आदि शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापना के बारे में कहा कि यह कोई कर्मकांड नहीं है, ये पूरी दुनिया को शांति का संदेश देकर सही दिशा दिखाएगा. यहाँ से भारत के संस्कार दुनिया को देकर उनके जीवन को धन्य बनाने की बात कही.