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पुरखों का संघर्ष और बलिदान वर्तमान पीढ़ी को बताना चाहिए

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इंदौर. देवास में विभाजन विभीषिका के समय में सिक्ख व सिंधी समाज के पाकिस्तान से भारत विस्थापन के संस्मरणों पर आयोजित व्याख्यान में सुरेंद्र सिंह भामरा ने कहा कि 14 अगस्त की रात्रि विभाजन का काली रात थी, अनेकों सिक्ख और सिंधी परिवारों को मध्यरात्रि में अपना सबकुछ छोड़कर विस्थापित होना पड़ा, क्योंकि हमारे पुरखे यह जानते थे कि भविष्य में पाकिस्तान उनके लिए सुरक्षित नहीं रहेगा और उनका वह अनुमान आज वास्तविकता में परिवर्तित हो गया है.

जब हजारों सिंधी और सिक्ख परिवार पाकिस्तान से भारत आ रहे थे, तब हमारी बहन -बेटियों के शीलभंग का भी कुत्सित प्रयास किया गया. ऐसी स्थिति में हमारे परिवारों के युवाओं और नागरिकों ने हमारी बेटियों -माताओं के चरित्र की रक्षा करने के लिए अपना बलिदान दिया.

सुरेंद्र सिंह ने कहा कि हमारी वर्तमान पीढ़ी को विभाजन की विभीषिका और उसके कारणों तथा हमारे पुरखों के संघर्ष और बलिदान के बारे में बताना चाहिए. कार्यक्रम में सिंधी और सिक्ख समाज के नागरिक उपस्थित रहे.

 

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