करंट टॉपिक्स

मालाबार नरसंहार का सच सबके समक्ष आना चाहिए

Spread the love

नई दिल्ली. खिलाफत आंदोलन को स्वाधीनता की लड़ाई से जोड़ने वाले इतिहास का सत्य समाज के समक्ष आना ही चाहिए. यह आंदोलन पूरी तरह से धार्मिक था. केरल में मालाबार का नरसंहार इसकी एक बानगी है, जिसमें 10 हजार से अधिक हिन्दुओं का नरसंहार कर दिया गया था. इस नरसंहार को सामने लाने के लिए प्रदर्शनी, सेमीनार का आयोजन किया जाएगा. तथा जिन्हें स्वतंत्रता सेनानी बताया जाता है और उनके परिवार को सरकारी सुविधाएं दी जा रही हैं, उकी सच्चाई सबके सामने आ सके…जिन्होंने मतांतरण न करने पर एक वर्ग विशेष का नरसंहार किया.

यह प्रदर्शनी और प्रस्तुति 25 सितंबर को कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में होगी, जिसमें पीड़ित परिवार के लोगों की तस्वीरें और उनके बयान दिखाए जाएंगे. साथ ही एक कुंए की प्रतिकृति होगी, जिसमें जिक्र होगा कि इसी तरह के कुंए में लोगों को मारकर डाला गया था. शाम को वहीं पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन होगा.

इसी तरह 26 सितंबर को कांस्टीट्यूशन क्लब में सेमीनार आयोजित होगा, जिसमें वरिष्ठ इतिहासकार और विशेषज्ञ खिलाफत आंदोलन के काले अध्याय पर प्रकाश डालेंगे. यह कार्यक्रम नरसंहार, खिलाफत आंदोलन के 100 वर्ष पूरे होने पर केरल की वामपंथी सरकार द्वारा समारोह के रूप में मनाने की तैयारी है.

विशेष बात कि हाल ही में शिक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आइसीएचआर) की एक समिति ने परिषद को सौंपी रिपोर्ट में देश के स्वाधीनता आंदोलन के सेनानियों की सूची से मालाबार से डाले गए 386 लोगों के नाम बाहर करने की सिफारिश की थी, इसमें 1921 के इस कथित आंदोलन के अगुआ वीके हाजी का भी नाम है.

प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक जे. नंदकुमार ने कहा कि इन लोगों के नाम स्वाधीनता आंदोलन के सेनानियों की सूची से बाहर किया जाना चाहिए. क्योंकि स्वाधीनता की लड़ाई में खिलाफत आंदोलन का कुछ लेना देना नहीं था. बल्कि इसके चलते देश में जगह-जगह धार्मिक उन्माद बढ़ा. उसमें से एक मालाबार का नरसंहार भी है, जिसमें मतांतरण न करने पर हजारों लोगों को मारा गया. उन परिवारों के लोग अभी भी हैं, लेकिन तोड़मरोड़ कर लिखे गए इतिहास में उन्हें उचित स्थान नहीं दिया गया.

1921 के मोपला विद्रोह को “जनसंहार के तौर पर याद किया जाना चाहिए और एक स्मारक का निर्माण भी किया जाना चाहिए.” मलप्पुरम में सौ साल पहले हुई 1921 की मालाबार हत्याओं की याद में सरकार को एक “जनसंहार स्मारक” बनवाना चाहिए और 25 सितंबर को “मालाबार हिन्दू जनसंहार दिवस” के रूप में मनाया जाना चाहिए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *