मेरठ. नवम गुरू श्री गुरू तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाष पर्व पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. इसी क्रम में सूरजकुण्ड रोड स्थित विश्व संवाद केन्द्र पर प्रकाश पर्व कार्यक्रम का आयोजन किया गया. सूरजकुण्ड रोड स्थित गुरूद्वारा से कुलविन्दर सिंह, गजेन्द्र सिंह एवं कमल जी की टोली द्वारा शबद कीर्तन किया गया.
‘‘जगत भिखारी फिरत है, सबको दाता राम….’, सब सुख दाता राम है, दूसरा ना कोय, सुख में सभी संगी बने, दुख में संग न कोय.’’ शबद कीर्तन से उन्होंने गुरु तेग बहादुर जी का स्मरण किया.
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता वीर खालसा दल के प्रदेश अध्यक्ष श्री जगमीत सिंह ‘मीत’ ने कहा कि फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ 1990 की बात है, परन्तु मुगल आक्रांताओं ने सैकड़ों वर्षों तक हिन्दू समाज पर अत्याचार किए हैं. धर्म परिवर्तन, महिलाओं से दुराचार, लूटपाट यह कई सौ वर्षों तक चलता रहा.
1671 में जब औरंगजेब का शासन था तो उसके मंत्रियों ने कश्मीर की तरफ रूख किया. कश्मीर से पण्डित कृपाराम अपने साथ 640 साथियों को लेकर गुरू तेगबहादुर जी से मिलने आये. गुरू तेगबहादुर जी ने कहा कि आप औरंगजेब से जाकर कहें – ‘अगर आपने गुरू तेग बहादुर जी से इस्लाम कबूल करवा लिया तो हम सब इस्लाम कबूल कर लेंगे.’ गुरू तेग बहादुर जी को 3 साथियों सहित आगरा से दिल्ली ले जाया गया तथा कहा कि या तो इस्लाम कबूल कर लो अन्यथा मार दिये जाओगे. इस्लाम न कबूल करने पर उनके साथी भाई मतिदास जी को हाथ बांध कर आरे से चीर दिया गया, भाई सतिदास जी को रूई में लपेट कर जिंदा जला दिया गया, भाई दयाला जी को जिंदा खौलते पानी में बिठाकर मार दिया गया. अन्त में गुरू तेग बहादुर जी का शीश काट दिया गया.
इस बलिदान के बाद पूरे देश में यह संदेश गया कि हिन्दू समाज झुकने वाला नहीं है. इसके बाद उनके पुत्र गुरू गोविन्द सिंह जी ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की.
कार्यक्रम में महानगर संघचालक विनोद भारतीय ने कहा कि आक्रमणकारियों द्वारा हमारे समाज पर सैकड़ों वर्षों से अत्याचार किये जा रहे हैं. देश की आजादी के पश्चात पाठ्यक्रम में आक्रांताओं के अत्याचार को नहीं पढ़ाया गया. बल्कि, उन्हें महिमामंडित करके दिखाया गया. आक्रांताओं का महिमामंडन कर उनके अत्याचारों को छिपाया गया.