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मजदूर, किसान संगठन और सामाजिक समरसता के प्रयासों को ठेंगड़ी जी ने दिशा दी

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शिमला (विसंकें). राज्यपाल बंडारू दतात्रेय ने कहा कि दत्तोपंत ठेंगड़ी मजदूरों के सच्चे हितैषी थे. वे किसानों और मजदूरों की लड़ाई लड़ते थे. उन्होंने मजदूरों, किसानों के संगठन और सामाजिक समरसता के प्रयासों को नई दिशा प्रदान की. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला के सभागार में दत्तोपंत ठेंगड़ी जन्मशताब्दी वर्ष समापन समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय उपस्थित रहे. विशिष्ट अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक प्रमुख रामेश्वर जी रहे. कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय विश्वविद्यालय के वीसी डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने की.

मुख्य अतिथि और प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दतात्रेय ने कहा कि मजदूरों, किसानों, के उत्थान के लिए दत्तोपंत ठेंगड़ी जी ने भारतीय मजदूर संघ, किसान संघ सहित अन्य संगठनों की स्थापना की थी. दत्तोपंत जी का पूरा जीवन स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने और मजदूरों के हितों को बचाने के लिए समर्पित रहा. ठेंगड़ी जी किसानों के उत्थान के लिए भी सक्रिय रहे. ठेंगड़ी जी का मानना था कि अगर किसान खुशहाल होगा, तभी देश का वास्तविक विकास संभव है. ठेंगड़ी जी द्वारा दिखाई दिशा के अनुसार ही भारतीय मजदूर संगठन संगठित व असंगठित क्षेत्र मजदूरों के हित में कार्य कर रहा है. ठेंगड़ी जी ने किसानों और मजदूरों के हितों के लिए लड़ाई लड़ी और देश में समानता के लिए काम किया.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र प्रचारक प्रमुख रामेश्वर जी ने कहा कि ठेंगड़ीजी ने “राष्ट्र का औद्योगीकरण और उद्योगों का श्रमीकरण तथा श्रमिकों का राष्ट्रीयकरण” करने की दिशा दी थी. उनका कहना था कि देश में मजदूर एक बहुत बड़ी शक्ति है, ऐसे में उनको राष्ट्र के लिए काम करने के लिए प्रेरित करना होगा. उनका मानना था कि मजदूरों का संगठन मजदूरों के लिए और मजदूरों के द्वारा किया जाना चाहिए. उस समय देश में ऐसे नारे प्रचलित थे ‘‘चाहे जो मजबूरी हो, हमारी मांगें पूरी हों’’. लेकिन ठेंगड़ी जी ने उसको बदल कर दिया कि ‘‘देशहित के लिए करेंगे काम, काम का लेंगे पूरा दाम’’.

केंद्रिय विश्वविद्यालय के वीसी डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने स्वदेशी और किसान आंदोलन को दिशा प्रदान करने में ठेंगड़ी जी द्वारा किये कार्यों का वर्णन किया. समारोह में चयनित किसानों को सम्मानित भी किया गया. दत्तोपंत ठेंगड़ी जी के जीवन पर आधारित स्मारिका का विमोचन भी राज्यपाल ने किया.

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