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भारतीय भाषाओं में हों शिक्षा के अधिकाधिक अवसर – विद्यार्थी परिषद

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नई दिल्ली. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने शिक्षा तथा वर्तमान में चल‌ रहे महत्वपूर्ण विषयों पर दिल्ली में प्रेस वार्ता को संबोधित किया. याज्ञवल्क्य शुक्ल ने उच्च शिक्षा तथा शोध क्षेत्र में अधिक बजट आवंटित करने, राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान के लिए निर्धारित बजट को चरणबद्ध तरीके से जारी करने; भारतीय भाषाओं में तकनीकी, मेडिकल सहित सभी पाठ्यक्रमों को पढ़ने का अवसर देने, कोरोना के उपरांत विलंब से चल‌ रहे अकादमिक सत्र को पुनः पटरी पर लाने तथा एनटीए द्वारा आयोजित की जा रही परीक्षाओं में विलंब तथा तकनीकी दिक्कतों को ठीक करने, प्रतियोगी परीक्षाओं को पारदर्शी ढंग से आयोजित ‌कराने आदि विषयों को उठाया तथा उपर्युक्त विषयों पर छात्रों के हित में सरकार से शीघ्र निर्णय लेने की मांग की.

अभाविप का 68वां राष्ट्रीय अधिवेशन जयपुर में 25-27 नवंबर के मध्य सम्पन्न हुआ. अभाविप के राष्ट्रीय अधिवेशन में कुल पांच प्रस्ताव प्रतिनिधियों के साथ चर्चा व‌ सुझाव के पश्चात पारित हुए. अभाविप के इन पांच प्रस्तावों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए बजट के आवंटन, भारतीय ज्ञान परंपरा से युक्त भारतीय भाषाओं में पढ़ाई होने, आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए पीएफआई जैसे संगठनों व उनसे सहानुभूति रखने वालों का कड़ा प्रतिकार करने तथा भारत की वैश्विक पटल पर उभरती भूमिका जैसे विषयों को उठाया गया है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का अगला राष्ट्रीय अधिवेशन दिल्ली में आयोजित किया जाएगा.

याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि, “भारत की शिक्षा व्यवस्था एक व्यापक परिवर्तन के दौर से गुजर रही है. भारत में करोड़ों की संख्या में छात्र हैं, उनकी आशाओं को यदि पंख देना है तो भारत सरकार के साथ राज्य सरकारों को ईमानदारी से काम करना होगा. अधिवेशन में भविष्य का ध्यान रख जो प्रस्ताव पारित हुए हैं, उनमें उल्लेखित बातों को धरातल पर उतारने के लिए अभाविप कार्यकर्ताओं ने संकल्प लिया है.”

दिल्ली के प्रदेश मंत्री अक्षित दहिया ने कहा कि, “देश में शिक्षा व्यवस्था को नवाचारों से जोड़ने के प्रयास तीव्र होने चाहिए. भारत में छात्रों की कुल संख्या विश्व के अनेक देशों की कुल संख्या से भी ज्यादा है, ऐसे में युवाओं को शोध, स्किल तथा अच्छी शिक्षा द्वारा एक ऐसे वैश्विक नागरिक के रूप में गढ़ना होगा जो विश्व का नेतृत्व करने वाला है. हम शिक्षा क्षेत्र से सम्बंधित छात्रों की मांगों को लेकर लगातार प्रयासरत हैं.”

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