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#TheVaccineWar – अब देश के वास्तविक नायकों को पहचानने का समय

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बुरा वक्त सीख और सबक देकर जाता है. और यह वक्त आप जी गए तो जीत की कहानी बनती है. #TheVaccineWar केवल सर्वाइवल की नहीं, भारत की इसी उपलब्धि की कहानी है…और यह कहानी सबको बताना आवश्यक है. विशेषकर रील्स में अपनी क्रिएटिविटी दिखा रही आज की युवा पीढ़ी को इसलिए भी बताना आवश्यक है, ताकि वह अपने उन नायकों को पहचाने जो सेना की तरह सामने नहीं आएंगे. लेकिन आपकी सुरक्षा के लिए जान लड़ा देंगे.

#TheVaccineWar, ये वॉर महज इसलिए नहीं कि कोविड युद्ध जैसी स्थिति थी. इसलिए भी है क्योंकि ये घर के ही अंदर बैठे कुछ लोगों के भितरघात की भी कहानी है जो नहीं चाहते थे कि हम ये वॉर जीतें, देश जीते. विवेक अग्निहोत्री की फ़िल्म में सभी नायक हैं और एक दुश्मन है क्योंकि दुश्मन-दुश्मन होता है. उसे विलेन कहकर उसकी नुकसान पहुंचाने की नीयत और गंभीरता को छोटा नहीं किया जा सकता.

जब जनता कोविड से जूझ रही थी, रोटी पानी का संघर्ष कर रहे थे, उस दौरान कुछ लोग सोशल मीडिया व मीडिया में कई-कई पन्नों की पोस्ट लिखकर सरकार और देश को बदनाम करने का काम कर रहे थे. #TheVaccineWar उसकी सच्चाई सामने लाती है, ये फिल्म उसकी भी कहानी है.

कोई भी फिल्म कहानी, पटकथा, कलाकार, एक्टिंग, ट्रीटमेंट, संगीत, डायलॉग आदि पर आंकी जाती है. क्योंकि ये फिल्म ऑलमोस्ट रियलिटी है तो ट्रीटमेंट पर जज की जाएगी. साइंस, कोविड वैक्सीन जैसे विषय पर भी अगर फिल्म बनती है जो आपको तीन घंटे बांधे रखे तो ये बड़ी उपलब्धि है.

वास्तविक घटनाओं या विषयों पर फिल्म बनाकर सीधे जनता को समर्पित किया जा सकता है. द कश्मीर फाइल्स के बाद निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने पुनः ये साबित कर दिखाया है. फिल्म देखकर पता चलेगा कि संकट के समय एक महिला की संकल्प शक्ति को साहस के किसी भी पैमाने पर नहीं आंका जा सकता.

#TheVaccineWar में जो दिखाया गया है, ये कहानियां जानना आवश्यक हैं. डॉ. प्रिया अब्राहम, डॉ. निवेदिता ही हैं वास्तविक नायक. फिल्म के प्रारंभ में एक डायलॉग है, जब फिल्म में साइंटिस्ट कहती हैं कि हम किसी रॉकेट की पूंछ पर आग लगाकर उसे आसमान में नहीं भेजते तो आपको हमारे किये का अंदाजा नहीं लगता.

पर वास्तव में रॉकेट की पूंछ में आग लगाकर आसमान में भेजने वाले चेहरों को भी कब हीरो की तरह पेश किया गया? फ्लाइट में जब इसरो चीफ बैठे, तो उन्हें पहचानने के बाद अनाउंसमेंट हुआ, पूरे विमान में तालियां बजीं, लेकिन अगर अनाउंसेमेंट नहीं हुआ होता तो…फ्लाइट वालों ने नहीं बताया होता तो? देश को बनाने वाले इन अनजान चेहरों को पहचान देने का काम कब हुआ है, ये सोचने वाली बात है. इसीलिए फिल्म में फिल्म की विलेन से बार-बार उसके घर की मौसी तक पूछती है – आप सरकार के खिलाफ हो, ये बात तो समझ आती है, लेकिन देश के खिलाफ़ क्यों…?

अब इसे बहती गंगा समझिये या अमृतकाल, देश और सिनेमा जगत अपने नायकों को ना सिर्फ पहचान रहा है, उनकी कहानी पर इनवेस्ट भी कर रहा है. कहते हैं आधी लड़ाई विश्वास से जीती जा सकती है. एक अनजाने वायरस से जब ये देश अप्रत्याशित लड़ाई लड़ रहा था तो कौन लोग थे जो अविश्वास का धंधा कर रहे थे? खान मार्केट गैंग, टूलकिट से लेकर फैक्ट चैक की व्यवस्था के पीछे की व्यवस्था और हर साजिश को फिल्म में दिखाया गया है.

फिल्म की कहानी और पात्र काल्पनिक नहीं है. नायकों का परिचय करा दिया गया है और दुश्मन या विलेन को पहचानने का विवेक दर्शकों पर है. इस देश की जनता और सिने प्रेमी अब बड़े धैर्यपूर्वक सुन और समझ रहे हैं. सिनेमा की जरा सी चूक और बायकॉट तय…अब इसे असहिष्णुता कहिए या जागरूकता, ये नज़रिए की बात है, लेकिन फिल्म के कुछ डायलॉग सिनेमा हॉल में सीटियों और तालियों की गारंटी हैं.

संगीत के नाम पर वायरस का भयावह आलाप है और वैज्ञानिकों के समर्पण का नाद है जो रोंगटे खड़े करने के साथ-साथ आंख नम करने का माद्दा भी रखता है. कोरोना की लहर झेल चुका ये देश सिनेमेटोग्राफी में भव्यता नहीं देखेगा.

निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने जिस कनविक्शन के साथ नाना पाटेकर को ICMR चीफ बलराम भार्गव की भूमिका में ये कहने के लिए रोल दिया था कि इंडिया कैन डू इट (भारत कर सकता है) वो उन्होंने कर दिखाया है. पल्लवी जोशी की एक्टिंग, कितनी सहज होती है, वो हमने कश्मीर फाइल्स में भी देखा है. खुद पल्लवी जोशी की मानें तो कश्मीर फाइल्स में उन्होंने जेएनयू की देशविरोधी प्रोफेसर का किरदार निभाते हुए जो पाप किया था, अब वैक्सीन वॉर में साइंटिस्ट का किरदार निभाकर उन्होंने उसका प्रायश्चित किया है. कश्मीर फाइल्स, द केरल स्टोरी के बाद क्रम में तीसरी फिल्म है जो रियल टॉपिक के साथ सच्ची कहानी लेकर आई है.

ऐसे विषयों को पैरलल सिनेमा कहकर जनता के बीच से गायब कर देना और नाच गाने व फूहड़ता को ही मनोरंजन कहकर जनता के बीच परोस देना, अब बहुत दिन नहीं चलने वाला. इसलिए ही महज आस्था के नाम पर आदिपुरूष भी नहीं चलती और बड़े-बड़े सितारों की फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ढेर हो रही है. #TheVaccineWar का सबक यही है.

Courtesy – TV9hindi.com

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