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नेत्र कुम्भ में हजारों लोग करवा रहे आंखों की जांच

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महाकुम्भ नगर, प्रयागराज। नेत्र कुम्भ में नेत्र चिकित्सा सेवा अपने उत्कर्ष पर है। प्रतिदिन हजारों लोगों के नेत्रों की जांच वरिष्ठ नेत्र रोग चिकित्सक कर रहे हैं। मरीजों को चिकित्सकीय परामर्श के साथ ही निःशुल्क चश्मा भी दिया जा रहा है। अब तक करीब 90 हजार लोग नेत्र कुम्भ में चिकित्सा सेवा का लाभ ले चुके हैं। सामाजिक संस्था सक्षम और अन्य सहयोगी संस्थाओं के कार्यकर्ता नेत्र रोगियों की सेवा में जुटे हैं। नेत्र कुम्भ का समापन 26 फरवरी को होगा, तब तक चिकित्सा सेवा निर्बाध गति से चलती रहेगी।

सक्षम के नेतृत्व में नेत्र कुम्भ का संचालन हो रहा है। आयोजन में द हंस फाउंडेशन, स्वामी विवेकानंद हेल्थ मिशन सोसाइटी, नेशनल मेडिकोज आर्गेनाइजेशन एवं राष्ट्रीय सेवा भारती जैसी संस्थाएं सहयोग दे रही हैं। सक्षम के राष्ट्रीय संगठन मंत्री चंद्रशेखर के अनुसार नेत्र कुम्भ में पांच लाख लोगों के नेत्रों की जांच एवं तीन लाख नेत्र रोगियों को निःशुल्क चश्मा देने का लक्ष्य रखा गया था। हम लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। प्रतिदिन हजारों लोगों के आंखों की जांच की जा रही है। जांच में मोतियाबिंद के मरीजों को ऑपरेशन की सलाह दी जा रही है। ऑपरेशन मरीज के घर के निकटवर्ती अस्पताल में होगा। वहीं, आवश्यकता के अनुसार नेत्र रोगियों को निःशुल्क चश्मा भी दिया जा रहा है। मुख्य स्नान पर्व के दिन भी बड़ी संख्या में लोग नेत्र कुम्भ में आए।

नेत्र कुम्भ का आकर्षण विशिष्ट लोगों में भी कम नहीं है। वे लोग संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाने के साथ ही नेत्र कुम्भ का भी अवलोकन कर रहे हैं। विशिष्ट लोगों में जूना अखाड़ा के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी, निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी जी, इस्कॉन के राधानाथ स्वामी जी, आरएसएस के सह सरकार्यवाह डॉ. गोपाल कृष्ण, तिब्बती धर्म गुरु और दलाईलामा के उत्तराधिकारी, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला, उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्र, प्रसार भारती के अध्यक्ष नवनीत सहगल, मेजर जनरल राजेश भट आदि शामिल हैं। सभी लोगों ने नेत्र कुम्भ के आयोजन की प्रशंसा की है। नेत्र कुम्भ संभवतः दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा नेत्र चिकित्सा सेवा का आयोजन है। महाकुम्भ 2025 को नेत्र कुम्भ के आयोजन के लिए भी याद रखा जाएगा। देश के वरिष्ठ नेत्र रोग चिकित्सक भी नेत्र कुम्भ के सहभागी बन चुके हैं।

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