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उदयपुर में गूंजा : तिंग-तिंग बेतिंग, डीलिस्टिंग-डीलिस्टिंग 

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तूफान और बारिश भी नहीं थाम सकी जनजाति समाज का जोश

उदयपुर. रविवार को शहर डीलिस्टिंग-डीलिस्टिंग के नारों से गूंज उठा. जनजाति सुरक्षा मंच राजस्थान के आह्वान पर उदयपुर में हल्दीघाटी युद्ध दिवस पर आयोजित हुंकार डीलिस्टिंग महारैली में जनजाति युवाओं का जोश लगातार हो रही बारिश भी नहीं थाम पाई. राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों से सूर्योदय से पूर्व अपने-अपने घरों से निकले जनजाति समाज के आबाल-वृद्ध, महिलाएं-युवतियां दोपहर तक उदयपुर पहुंचे और महारैली का हिस्सा बनकर डीलिस्टिंग की हुंकार भरी.

शहर के पांच स्थानों भीलूराणा चौराहा सबसिटी सेंटर, निम्बार्क कॉलेज, महाकाल मंदिर, बीएन मैदान, फील्ड क्लब से निकली रैलियां गांधी ग्राउण्ड की ओर बढ़ी तो लगा मानो जनजाति संस्कृति का सैलाब मेवाड़ की धरा पर उमड़ पड़ा. डी-लिस्टिंग की मांग की तख्तियां हाथों में लेकर नारे लगाते हुए जनजाति समाज के लोग सभा स्थल पहुंचे. यहां मंच पर जनजाति युवाओं ने पारम्परिक प्रस्तुतियां दीं.

इससे पूर्व, कोटा-हाड़ौती क्षेत्र से जनजाति बंधु सूर्योदय से पूर्व ही हुंकार भरते हुए उदयपुर के लिए रवाना हुए. तेज हवा और बारिश भी उनके कदम नहीं रोक सकी. कोटा से निकले जनजाति बंधुओं की टोली ने मार्ग में सांवरिया सेठ के दर्शन किए और वहीं पर सुबह का भोजन किया. राजसमंद, सलूम्बर, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ सहित विभिन्न क्षेत्रों से जनजाति बंधु मस्ती में पारम्परिक गीत गाते, नारे लगाते उदयपुर की ओर बढ़े.

इसी तरह, अलग-अलग मार्गों से आते हुए जनजाति बंधुओं ने मार्ग में अलग-अलग जगह ठहरकर सुबह का भोजन किया. इसके बाद वे अपने-अपने निर्धारित स्थलों पर पहुंचे.

माताओं ने उत्साह से की भोजन व्यवस्था

शहर की मातृशक्ति ने भी सुबह से भोजन पैकेट की तैयारी शुरू कर दी थी. दस बजे बाद उदयपुर शहर व समीपवर्ती गांवों में कार्यकर्ताओं ने भोजन पैकेट एकत्र करना शुरू कर दिया. जितना उत्साह जनजाति बंधुओं के उदयपुर आने में नजर आ रहा था, उतना ही उत्साह घर-घर में भोजन पैकेट बना रही मातृशक्ति में भी था. पूछ-पूछ कर खराब नहीं होने वाले व्यंजन बनाए गए. कहीं भोजन पैकेट एकत्र करने वाले कार्यकर्ता नहीं पहुंचे तो माताएं स्वयं उन तक पहुंचती नजर आईं. 25-25 पैकेट का एक थैला बनाया गया. इनको अलग-अलग पंजीयन स्थल पर संख्या के अनुसार दोपहर बाद 3 बजे तक पहुंचा दिया गया. भोजन पैकेट के लिए शहरी क्षेत्र को 73 भागों में बांटा गया तथा समीपवर्ती 113 गांव भी भोजन पैकेट व्यवस्था में शामिल किए गए.

इस बीच, उदयपुर में हुंकार रैली के मद्देनजर विभिन्न संगठनों ने देर रात तक काम करते हुए चौराहों पर पताकाएं, बैनर आदि लगाए. सुबह होते ही गांधी ग्राउण्ड और मार्गों की सजावट के लिए कार्यकर्ता जुटे, तो रंगोली सजाने के लिए बहनें पहुंचीं. लगातार हो रही बारिश के बीच भी कार्यकर्ताओं को उत्साह देखते ही बना.

पहली शोभायात्रा सबसिटी सेंटर से 3.30 बजे भीलू राणा पूंजा को नमन करने के साथ शुरू हुई. इसके बाद शेष चारों शोभायात्राएं शुरू हुईं. सभी शोभायात्राएं संतों के सान्निध्य में शुरू हुईं. संतों ने श्रीफल शगुन के साथ शोभायात्रा को शुरू किया.

चक्रवाती बारिश के चलते शनिवार शाम से ही चित्तौड़ व अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम की स्थिति होने से रविवार दोपहर यहां पहुंची जनजाति समाज की गाड़ियां भी फंस गईं. जब काफी देर समाधान नहीं हुआ तो जनजाति सुरक्षा मंच ने जिला प्रशासन को आग्रह किया कि उदयपुर आ रही जनजाति बंधुओं की बसों को वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध कराया जाए. जनजाति सुरक्षा मंच के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने कहा कि चिंता तूफान के कारण आ रही बारिश से नहीं, जाम से है.

अनुशासन और प्रबंधन से शहर में नहीं लगा जाम

इतनी बड़ी संख्या में उदयपुर शहर में आए जनजाति बंधुओं की रैलियां अनुशासित और समयबद्ध रही कि कहीं से भी शहर में जाम की समस्या सामने नहीं आई. दरअसल, गाड़ियों की पार्किंग का प्रबंधन व्यवस्थित होने और समय प्रबंधन भी समुचित होने से शहरवासी कहीं भी जाम में नहीं फंसे.

पांच दिशाएं, पांच पंजीयन स्थल

बांसवाड़ा, कुशलगढ़, सलूम्बर, सागवाड़ा से आने वालों की पंजीयन व्यवस्था सवीना पेट्रोल पम्प पर रही और इनके वाहनों की पार्किंग सबसिटी सेंटर एवं आसपास के 100 फीट रोड पर रही. सिरोही, पाली, गोगुन्दा, राजसमंद व नाथद्वारा मार्ग से आने वाले बंधुओं के लिए सुखेर में पंजीयन व्यवस्था रही और इनकी पार्किंग विद्या भवन स्कूल ग्राउण्ड में रही. खेरवाड़ा व डूंगरपुर से आने वालों वाहनों की पंजीयन व्यवस्था हर्ष पैलेस होटल के समीप थी तथा पार्किंग फतेह स्कूल व माली कॉलोनी रोड पर रही. चित्तौड़-प्रतापगढ़ तथा कोटा-बारां की ओर से आने वाले वाहनों की पंजीयन व्यवस्था देबारी फ्लाईओवर के नीचे रही तथा चित्तौड़-प्रतापगढ़ के वाहनों की पार्किंग विद्या निकेतन सेक्टर-4 में तथा कोटा-बारां की पार्किंग बीएन ग्राउण्ड में रही. कोटड़ा, झाड़ोल, बाघपुरा की ओर से आने वाले वाहनों की पंजीयन व्यवस्था सीसारमा पेट्रोल पम्प के पास रही तथा पार्किंग रानी रोड, राजीव गांधी पार्क तक थी.

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