चीन के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों के भविष्य के साथ ड्रैगन द्वारा किए जा रहे खिलवाड़ को लेकर भारत ने कड़ा रुख दिखाया है. चीन के दोगले रवैये को लेकर ‘जैसे को तैसा’ की नीति अपनाते हुए भारत ने चीनी नागरिकों के वीजा को निलंबित करने का कठोर निर्णय लिया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, 20 अप्रैल को भारत के संदर्भ में जानकारी साझा करते हुए 290 सदस्यों वाली वैश्विक एयरलाइन निकाय ‘अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ’ (आइएटीए) के परिपत्र में कहा गया है कि भारत सरकार द्वारा चीन के नागरिकों को जारी किए गए पर्यटक वीजा अब वैध नहीं हैं. सरकार द्वारा 10 वर्षों के लिए जारी किए गए पर्यटक वीजा को भी निलंबित किया गया है और अब ये वैध नहीं माने जाएंगे.
परिपत्र में यह भी कहा गया है कि ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया (ओसीआइ) कार्ड धारक यात्री, भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआइओ) राजनयिक पासपोर्ट धारक, एवं नेपाल, भूटान एवं मालदीव के नागरिकों को जारी किया गया पर्यटक वीजा वैध माना जाता रहेगा. भारत सरकार के निर्णय को चीन सरकार द्वारा कोरोना महामारी के कारण भारत लौटे छात्र-छात्राओं के चीन लौटने के विषय में दिखाई जा रही उदासीनता की प्रतिक्रियात्मक कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है, जिसे नेटिजंस द्वारा सोशल मीडिया पर ड्रैगन को दिया गया करारा जवाब कहा जा रहा है.
दरअसल, कोरोना महामारी के कारण अपने-अपने देशों में लौटने को मजबूर हुए छात्र-छात्राओं के विषय में अभी हाल ही में चीनी सरकार ने थाईलैंड, श्रीलंका एवं पाकिस्तान के छात्र-छात्राओं को चीन लौटने की अनुमति दे दी थी. जबकि, चीन की सरकार द्वारा भारतीय व्यापारियों एवं छात्र छात्राओं की वापसी को लेकर चुप्पी साध ली गई थी, वहीं पिछले महीने इस संदर्भ में बात करते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने भी कहा था कि “हम चीन की सरकार से चीन में पढ़ रहे भारतीय छात्र-छात्राओं के भविष्य के विषय में शीघ्र निर्णय लेने का अनुरोध कर चुके हैं, बावजूद इसके चीनी पक्ष ने अब तक इस मामले पर कोई स्पष्ट जानकारी साझा नहीं की है.”
इसके अतिरिक्त अभी हाल ही में भारत यात्रा पर आए चीनी विदेश मंत्री यांग यी से भेंट के दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी भारतीय छात्र-छात्राओं के चीन लौटने के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था, चीनी समकक्ष द्वारा इस विषय पर स्पष्टता से कोई जवाब नहीं दिया गया. जिसके उपरांत भारत ने भी चीन को उसी की भाषा में उत्तर देते हुए उसके नागरिकों के पर्यटक वीजा को निलंबित करने का निर्णय लिया है.
चीन के विभिन्न विश्वविद्यालयों में भारत के लगभग 22000 छात्र अध्यनरत हैं, जिन्हें चीन में कोरोना महामारी के प्रसार के उपरांत भारत लौटने को बाध्य होना पड़ा था. हालांकि दो वर्षों के उपरांत स्थिति के सामान्य होने पर जहां चीन ने पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड जैसे देशों के छात्र-छात्राओं को चीन वापस लौटकर अपनी पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दी है, तो भारत के संदर्भ में उसने अब तक चुप्पी साधे रखी है. अब भारत सरकार ने इस कठोर निर्णय के माध्यम से चीन को यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि चीन में अध्ययनरत भारतीय छात्र छात्राओं के चीन लौटकर अपनी पढ़ाई सुचारू रूप से जारी रखने के संदर्भ में यदि चीन शीघ्र ही कोई ठोस पहल नहीं करता तो इसका दुष्परिणाम चीन को भी उठाना होगा.