मुंबई. भगवान श्रीराम ने 14 वर्ष नंगे पांव रह कर, भू शैया पर सोकर, वंचित समाज के कष्ट हरे तथा उनकी व सन्तों की सेवा की तथा उन्हें भयमुक्त किया. आज ऐसी सेवा बस्ती में पहुंच कर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि मैं भगवान के भक्तों से उनके मन्दिर के लिए समर्पण निधि भी अपने हाथों से ले कर अयोध्या पहुंचाऊंगी. हम सब धन्य हैं, जिन्हें इस पुनीत कार्य से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.
मुंबई के जूहू विले पार्ले पश्चिम स्थित नेहरू नगर बस्ती में आज श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़ी रहीं पूज्य दीदी मां ऋतंभरा आज दोपहर जब पहुंचीं तो बस्ती के लोगों का उत्साह चरम पर था. बस्ती के लोगों ने न सिर्फ दीदी मां का पुष्प वर्षा कर स्वागत किया, बल्कि उन्हें फूलों से लाद दिया.
बस्ती के लोगों ने भगवान श्रीराम के मंदिर के लिए अपना समर्पण भी दिया और दीदी मां से आशीर्वाद भी लिया. दीदी माँ ने उन्हें समर्पण राशि के एवज में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कूपन, मंदिर तथा भगवान राम का सुंदर चित्र भेंट किया.
कार्यक्रम में सैकड़ों लोग उपस्थित थे. लोगों को दीदी मां के दर्शन कर ऐसा लगा जैसे कि राम जन्मभूमि आंदोलन की 90 के दशक की यादों को ताजा हो गईं. कुछ लोग कह रहे थे कि हम में से कुछ लोग 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में थे. मंच से दीदी मां का भाषण चल रहा था. वह भाषण आज भी हमारे कानों में गूंजता है. इतनी दूर से दीदी मां का हमारी बस्ती में आना भगवान की बड़ी कृपा है. अब जल्दी से जल्दी मंदिर का निर्माण पूरा हो और हम सब लोग दर्शनार्थ अयोध्या पहुंचे, यह हमारी मनोकामना है. कार्यक्रम में उपस्थित जन समूह को दीदी मां ने शुभ आशीष दिया तथा विश्व हिन्दू परिषद के पदाधिकारियों और कुछ अन्य संतों के साथ दूसरे कार्यक्रम में चली गई.