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18 जून को उदयपुर में डी-लिस्टिंग महारैली में जनजाति समाज भरेगा हुंकार

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उदयपुर. हल्दीघाटी युद्ध दिवस 18 जून को उदयपुर शहर में जनजाति सुरक्षा मंच राजस्थान के तत्वाधान में डी-लिस्टिंग हुंकार महारैली का आयोजन होने जा रहा है. डी-लिस्टिंग महारैली में सम्पूर्ण राजस्थान का जनजाति समाज पहुंचेगा और एक स्वर में धर्म परिवर्तन कर लेने वाले जनजाति परिवारों को संविधान प्रदत्त विशेष प्रावधानों से हटाने की हुंकार भरेगा.

जनजाति सुरक्षा मंच के संरक्षक व सामाजिक कार्यकर्ता भगवान सहाय ने बताया कि डी-लिस्टिंग महारैली जनजाति समाज के हक और उनकी संस्कृति को बचाने के लिए आहुत की जा रही है. महारैली के माध्यम से मांग उठाई जाएगी कि जनजाति समाज के जिस व्यक्ति ने अपना धर्म बदल लिया है, उनका एसटी का स्टेटस हटाया जाए और एसटी के नाते संविधान प्रदत्त सुविधाएं नहीं दी जाएं. जब अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग के लिए संविधान में यह नियम लागू है तो अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के लिए भी यह प्रावधान संविधान में जोड़ा जाना चाहिए. धर्म बदलने वाले अपनी चतुराई से दोहरा लाभ उठा रहे हैं, जबकि मूल आदिवासी अपनी ही मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहा है. सहाय ने कहा कि गांव-गांव में धर्मान्तरण के कारण पारिवारिक समस्याएं भी आ रही हैं.

1968 में डॉ. कार्तिक उरांव, जनजाति नेता/पूर्व सांसद ने, इस संवैधानिक/कानूनी विसंगति को दूर करने के प्रयास किए एवं विस्तृत अध्ययन भी किया. अध्ययन में पता चला कि 5 प्रतिशत धर्मांतरित ईसाई, अखिल भारतीय स्तर पर कुल एसटी की लगभग 70 प्रतिशत नौकरियां, छात्रवृत्तियां एवं शासकीय अनुदान ले रहे हैं, साथ ही प्रति व्यक्ति अनुदान आवंटन का अंतर उल्लेखनीय रूप से गैर-अनुपातिक था. इस प्रकार की मूलभूत विसंगति को दूर करने के लिए संसद की संयुक्त संसदीय समिति का गठन हुआ, जिसने अनुशंसा की कि अनुच्छेद 342 से धर्मांतरित लोगों को एसटी की सूची से बाहर करने के लिए राष्ट्रपति के 1950 वाले आदेश में संसदीय कानून द्वारा संशोधन किया जाना आवश्यक है. इस मसौदे पर तत्कालीन 348 सांसदगण का समर्थन भी प्राप्त हुआ था. लेकिन कानून नहीं बन सका.

2001 की जनगणना और भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के सदस्य एंथ्रोपोलोजिस्ट पद्मश्री डॉ. जेके बजाज का 2009 का अध्ययन भी इस गैर-आनुपातिक और दोहरा लाभ हड़पने की समस्या की विकरालता को उजागर करते हैं कि धर्मांतरित ईसाई एवं मुसलमान अनुसूचित जनजातियों के अधिकांश सुविधाओं को हड़प रहे हैं और दोहरा लाभ ले रहे हैं.

जनजाति सुरक्षा मंच राजस्थान के प्रदेश संयोजक लालूराम कटारा ने बुधवार को यहां वनवासी कल्याण आश्रम में आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि डी-लिस्टिंग हुंकार रैली को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. महारैली में पूरे राजस्थान से जनजाति समाज के लोग अपनी पारम्परिक वेशभूषा एवं वाद्ययंत्रों के साथ एकत्र होंगे. महारैली को लेकर राजस्थान के हाड़ौती, मेवाड़, वागड़, कांठल, भोमट और मारवाड़ क्षेत्र में जागरण-सम्पर्क का अभियान चल रहा है. उदयपुर शहर में भी जनजाति बंधु-बांधवों के आगमन पर उनके भव्य स्वागत की तैयारियां की जा रही हैं. उदयपुर संत समाज और मातृशक्ति ने भी जनजाति बंधु-बांधवों की इस आवाज को बुलंद करने के लिए इस रैली में हरसंभव सहयोग का ऐलान किया है.

भावना मीणा ने बताया कि उदयपुर में महारैली में आने वाले एक लाख से अधिक जनजाति बंधु-बांधवों के भोजन की व्यवस्था उदयपुर शहर के घर-घर से की जाएगी. घर-घर से माताओं-बहनों से जनजाति बंधुओं के लिए भोजन पैकेट तैयार करने का आग्रह किया जा रहा है. महारैली के दिन जनजाति सुरक्षा मंच सहित विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता घर-घर से भोजन पैकेट एकत्र कर निर्धारित स्थलों पर पहुंचाएंगे, जहां से उनका वितरण जनजाति बंधुओं को किया जाएगा.

महारैली संयोजक नारायण लाल गमेती ने बताया कि पूरे राजस्थान से जनजाति समाज के बंधु 18 जून को सुबह से पहुंचना शुरू होंगे. अलग-अलग दिशाओं से रैलियों के रूप में गांधी ग्राउण्ड पहुंचेंगे. शाम 4 बजे से गांधी ग्राउण्ड में जनजाति संस्कृति के विविध रंगों को दर्शाती प्रस्तुतियों का दौर रहेगा. इसके बाद विशाल सभा होगी.

जनजाति संस्कृति से दमकेंगे चौराहे

18 जून को होने वालीडी-लिस्टिंग महारैली में राज्य भर से जनजाति बंधु आ रहे हैं. शहर में प्रवेश के स्थलों पर पार्किंग से लेकर जलपान तक की व्यवस्थाएं की जाएंगी. विभिन्न दिशाओं से प्रवेश करने वाले जनजाति बंधु शहर के पांच स्थलों पर एकत्र होंगे और वहीं से ढोल-मंजीरे, थाली-मांदल आदि पारम्परिक वाद्यों के साथ नाचते-गाते रैली के रूप में सभा स्थल की ओर बढ़ेंगे. रैलियां एमबी ग्राउंड, आरसीए, महाकाल मंदिर, फील्ड क्लब और नगर निगम से शुरू होंगी. रैलियों का आरंभ संतों की अगुवाई में श्रीफल शगुन वंदन से होगा. रैली के मार्गों को भी पताकाओं से सजाया जाएगा. विभिन्न स्थानों पर पुष्पवर्षा से भी स्वागत किया जाएगा.

उदयपुर शहर के चौराहों पर भी सजावट की तैयारी की जा रही है. चौराहों को जनजाति संस्कृति के अनुरूप सजावट की योजना बनाई गई है. इसके लिए शहर के विभिन्न संगठन जिम्मेदारी उठा रहे हैं. सजने वाले चौराहों में मुख्य रूप से सूरजपोल, देहलीगेट, हाथीपोल, चेतक सर्कल, ईंटभट्टा, राणा पूंजा सर्कल, गवरी सर्कल, सुभाष चौराहा, महाकाल, चेतक सर्कल, फतहपुरा, बोहरा गणेश जी, राड़ाजी चौराहा, कोर्ट चौराहा, पंचवटी, सीए सर्कल आदि शामिल हैं.

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