नई दिल्ली. सरकार ने अंडमान-निकोबार के 21 द्वीपों के नाम देश के परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखे हैं. द्वीपों के नाम परमवीर चक्र से अलंकृत मेजर सोमनाथ शर्मा, कैप्टन विक्रम बत्रा, मेजर शैतान सिंह भाटी और कैप्टन बाना सिंह सहित कुल 21 वीरों के नाम पर रखे गए हैं. 21 द्वीपों में से 16 उत्तर और मध्य अंडमान जिले में स्थित हैं, जबकि 5 द्वीप दक्षिण अंडमान में हैं. केंद्र सरकार ने रक्षा और स्थानीय अधिकारियों की सहायता से सैनिकों के नाम पर रखे हैं.
INAN370 द्वीप का नाम हुआ सोमनाथ द्वीप
उत्तर और मध्य अंडमान में निर्जन द्वीप संख्या ‘आईएनएएन 370’ का नाम मेजर सोमनाथ शर्मा के नाम पर रखा गया है. अब ‘आईएनएएन 370’ को ‘सोमनाथ द्वीप’ के नाम से जाना जाएगा. वहीं, भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान अपनी वीरता के लिए सम्मानित सूबेदार और मानद कैप्टन करम सिंह के नाम पर ‘आईएनएएन 308’ द्वीप का नाम ‘करम सिंह’ द्वीप हो गया है.
इसके अलावा सूबेदार और मानद कैप्टन करम सिंह, मेजर रामा राघोबा राणे, नायक यदुनाथ सिंह, कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह शेखावत, कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया, लेफ्टिनेंट कर्नल धन सिंह थापा मागर, सूबेदार जोगिंदर सिंह सहनन, मेजर शैतान सिंह भाटी, कंपनी क्वार्टरमास्टर हवलदार अब्दुल हमीद, लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर, लांस नायक अल्बर्ट एक्का, कर्नल होशियार सिंह दहिया, सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल, फ्लाइंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह सेखों, मेजर रामास्वामी परमेश्वरन, कैप्टन बाना सिंह, कैप्टन विक्रम बत्रा, कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय और सूबेदार मेजर संजय कुमार के नाम पर भी द्वीपों के नाम रखे गए हैं.
देश के पहले परमवीर सोमनाथ शर्मा
देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित मेजर सोमनाथ शर्मा देश के पहले परवीर चक्र विजेता हैं. उन्होंने 1947 के भारत पाकिस्तान युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था. 3 नवंबर, 1947 को सेना की 4 कुमाऊं कंपनी को जम्मू कश्मीर के बडगाम में पाकिस्तानी हमले को रोकने का जिम्मा सौंपा गया. 500 के करीब पाकिस्तानी हमलावरों ने 3 तरफ से अचानक हमला बोल दिया. दुश्मन श्रीनगर एयरफील्ड पर कब्जा करना चाहते थे. मेजर सोमनाथ ने बेहद मुश्किल और विपरीत परिस्थितियों में भी युद्ध कौशल का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए दुश्मन को आगे बढ़ने से रोका. इस दौरान मोर्टार शेल विस्फोट की चपेट में आने से मेजर सोमनाथ बलिदान हो गए. श्रीनगर एयरफील्ड को बचाने के लिए मेजर सोमनाथ के नेतृत्व ने निर्णायक भूमिका निभाई. इसके लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र का सम्मान मिला.
परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह
परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह ने 1962 के भारत चीन युद्ध में रेजांग ला को बचाने के लिए अपनी टुकड़ी के महज 120 जवानों के साथ करीब 3000-5000 चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दिया था. इस युद्ध में मेजर शैतान सिंह की टुकड़ी के 114 सैनिकों ने चीनी सेना के 1300 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था.
कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया
बलिदानी कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया ने जून 1960 में विदेशी धरती पर दक्षिणी अफ्रीका के कांगो शहर में भारत द्वारा भेजी गई शांति सेना का नेतृत्व करते हुए न सिर्फ 40 विद्रोहियों को मार गिराया, बल्कि अपने प्राणों की आहुति देते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए.
परमवीर चक्र से अलंकृत नायक यदुनाथ सिंह
पाकिस्तान ने सन् 1947 में जम्मू-कश्मीर पर कब्ज़ा करने के इरादे से अचानक हमला कर दिया. इस हमले में पाकिस्तान अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देते हुए जम्मू कश्मीर के बड़े भू-भाग पर कब्ज़ा करने में सफल भी हो गया था. नौशेरा पर हमले से पहले ही भारतीय सेना की राजपूत बटालियन को पाकिस्तानी सेना को पीछे ढकेलने का आदेश मिला. आदेश मिलने के बाद ब्रिगेडियर उस्मान के नेतृत्व में सेना के बहादुर जवानों ने मोर्चा संभाला और पाकिस्तान को इस मुकाबले में हराने में सफल रहे. उधर हार से बौखलाए पाकिस्तान ने 6 फरवरी को भारतीय सेना की पोस्ट ”टैनधार की पीकेट पोस्ट नंबर-2” पर हमला कर दिया. यहां उसका सामना नायक यदुनाथ सिंह से हुआ. वह अपने 9 सैनिकों के साथ मोर्चे पर तैनात थे. यदुनाथ सिंह ने अपनी टुकड़ी के चंद साथियों के साथ मिलकर पाकिस्तानी सेना को इस युद्ध में धूल चटा दी और अंत में युद्धभूमि में वीरगति को प्राप्त हो गए. नायक यदुनाथ सिंह को उत्तम युद्ध कौशल के लिए परमवीर चक्र से अलंकृत किया गया.
परमवीर चक्र से सम्मानित अरुण खेत्रपाल
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अद्भुत पराक्रम दिखाते हुए अरुण खेत्रपाल वीरगति को प्राप्त हुए थे. महज 21 साल की ही उम्र में वीरगति को प्राप्त होने वाले अरुण खेत्रपाल को भारत सरकार ने उनकी वीरता और अदम्य साहस के लिए मरणोपरान्त परमवीर चक्र से सम्मानित किया था. अरुण खेत्रपाल ने इस युद्ध में पाकिस्तान के 10 टैंक्स को अकेले ध्वस्त किया था. 5 से 16 दिसंबर 1971 तक चली इस जंग में अरुण ने जम्मू -कश्मीर के बसंतर में मोर्चा संभाला था. बसंतर की लड़ाई 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पश्चिमी सेक्टर में लड़ी गई महत्वपूर्ण लड़ाइयों में से एक थी. अरुण खेत्रपाल ने ना सिर्फ पाकिस्तानी सेना को आगे बढ़ने से रोका था, बल्कि पाकिस्तानी सेना के जवानों का मनोबल इतना गिर गया कि आगे बढ़ने से पहले पाकिस्तानी सैनिकों ने दूसरी बटालियन की मदद मांगी थी.
Real tribute to our soldiers who sacrificed their lives for us. 21 uninhabited Andaman and Nicobar islands named after Padam Vir Chakra heroes. pic.twitter.com/JXihXZv5sX
— G Pradeep (@pradeep_gee) December 3, 2022