रायपुर. स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रदेश के घोर नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ के विभिन्न क्षेत्रों में पहली बार तिरंगा दिनभर शान से लहराता नजर आया. बच्चे देशभक्ति गीत गुनगुना रहे थे. स्कूलों और पंचायत भवनों में गरिमामय ढंग से ध्वजारोहण किया गया. आज़ादी के बाद पहली बार कुछ गांवों में स्वतंत्रता दिवस का उत्सव मनाया गया.
अबूझमाड़ में देशप्रेम की कहानी के पीछे उन बहादुर सपूतों के बलिदान का स्मरण भी आवश्यक है, जिन्होंने अबूझमाड़ के गांवों में शांति स्थापित करने के लिए अपना बलिदान दिया. माड़ के आकाबेडा, कोहकामेटा, सोनपुर, ओरछा, कुंदला, बासिंग सहित कई गांवों में नक्सल उग्रवाद रूक गया है. यहां पुलिस थाना और कैम्प स्थापित होने से नक्सल गतिविधियां सिमट गई है. आज़ादी के 75वें साल में माड़ के कुछ गांव, सही अर्थों में आज़ाद हुए है. सुरक्षा बलों के जंगलों में उतरने के बाद से अबूझमाड़ की आबोहवा भी बदल रही है. पुलिस ग्रामीणों के साथ दोस्ताना संबंध स्थापित कर गांवों में विकास के द्वार खोलने में सहभागिता निभा रही है.
काले झंडे लगाकर विरोध नहीं जता पाए ‘नक्सली’
नक्सलियों के आधार क्षेत्र में फोर्स की आमद होने से नक्सलियों का इलाका सिमट रहा है. शैक्षणिक संस्थाओं और ग्राम पंचायतों में ध्वजारोहण होने के बाद नक्सली तिरंगे झंडे को उतार कर काले झंडे लगाते आए हैं, लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है कि नक्सली अबूझमाड़ के अंदरूनी क्षेत्रों में काले झंडे लगाकर विरोध नहीं जता पाए.
विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी ओरछा डी.बी. रावते बताते हैं कि अबूझमाड़ ब्लॉक के सभी स्कूलों में स्वतंत्रता दिवस गरिमामय ढंग से मनाया गया. आजादी के पर्व को लेकर गांवों में उत्साह का माहौल रहा.
दशकों बाद अबुझमाड़िया परिवार को सरकार की योजनाओं का लाभ मिल रहा है. गांवों तक पक्की सड़कें बनाई जा रही हैं. पीने के लिए साफ पानी मिल रहा है. लालटेन युग से आजादी मिल गई है. माड़ के छोटे बड़े गांव में बिजली पहुँच गई है. असल आजादी के मायने अबूझमाड़िया परिवार के लोग अब समझ रहे है. सरकार द्वारा अंतिम व्यक्ति तक पहुँच बनाने के लिए गंभीर प्रयास किए जा रहे है. स्वास्थ्य सेवा का लाभ गांव के अंतिम छोर तक पहुँचाने के लिए स्वास्थ्य साथी के युवाओं को लगाया गया है.