माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफार्म ट्विटर एक तरफ तो स्वतंत्र अभिव्यक्ति का मसीहा बनता है, वहीं दूसरी तरफ लोगों के बोलने की स्वतंत्रता पर लगातार हमले भी करता है. खासकर जब बात वामपंथियों और चर्च के विरोध की हो तो ट्विटर कुछ ज्यादा ही एक्टिव हो जाता है. ट्विटर ने ऐसे ही मामले में एक बार फिर निष्पक्षता का प्रदर्शन किया है.
माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर ने #ChurchUnsafe4Women ट्रेंड चलाने पर 37 हैंडल को निलंबित कर दिया. ट्रेंड को जनता का भरपूर समर्थन मिला था. 2500 ट्विटर हैंडल ने ट्रेंड में भाग लेते हुए 95,000 से अधिक ट्वीट किये थे. इसके बाद ट्विटर ने दमनात्मक कार्यवाही करते हुए बिना किसी चेतावनी के 37 ट्विटर हैंडल निलंबित कर दिए. जिन लोगों के खाते निलंबित किये गए हैं, उन्होंने ट्विटर पर एकतरफा कार्यवाही करने का आरोप लगाया. दरअसल इन लोगों की गलती बस ये थी कि उन्होंने चर्च में होने वाले महिलाओं (नन्स) के शारीरिक शोषण के मामलों पर आवाज़ उठाई थी, जिससे चर्च के काम करने के तरीके पर सवालिया निशान लगता है.
हाल ही में जालंधर स्थित एक मलयाली बिशप को बलात्कार के एक मामले में आरोपी बनाया गया था. कुछ समय पहले एक नन केरल में एक कॉन्वेंट के अंदर मृत पाई गई. इस ट्रेंड में मीडिया और मनोरंजन उद्योग द्वारा दिखाए गए पूर्वाग्रह पर भी सवाल उठाया था, जो ऐसे तो हर मुद्दे पर बोलते हैं… लेकिन जब चर्च की व्यवस्था के अंदर यौन हिंसा का जवाब देने की बात आती है तो चुप्पी साध लेते हैं.
भारत सहित दुनिया भर से अनेकों ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जहां चर्च में लड़कियों का यौन शोषण और बलात्कार हुआ है. कई ननों के साथ बलात्कार के मामले भी सामने आ चुके हैं. शारीरिक शोषण का शिकार इन लोगों में सिर्फ लड़कियां नहीं, बल्कि लड़के भी शामिल हैं. 2001 से 2010 के बीच चर्च ने जब यौन हिंसा के इन मामलों की जांच की तो 300 से ज्यादा पादरियों के नाम सामने आये थे, इनमें से कुछ मामले 50 साल से ज्यादा पुराने थे. पिछले कुछ वर्षों में कई समाजसेवी संस्थाएं इन बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए आगे आई हैं.
CRIN द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट इस बात का खुलासा करती है कि कई दशकों तक चर्च अपनी इमेज ठीक रखने लिए इन शिकायतों को नजरंदाज़ करती रही. सजा के नाम पर इस तरह का दुष्कृत्य करने वाले पादरियों को सिर्फ एक जगह से दूसरी जगह भेज दिया जाता था.
यौन हिंसा के इन मामलों के साथ धर्मान्तरण के आरोप भी चर्च पर लगते रहे हैं, इन कामों के लिए विदेशी फंडिंग का आरोप भी कई बार लगा है. हाल में ही एफसीआरए संशोधन के माध्यम से चर्च को मिल रही बेहिसाब फंडिंग पर रोक लगाने के कोशिशें भी की जा रही हैं.
ट्विटर हैंडल से चर्च के काले कारनामों को तथ्यात्मक रूप से जनता के सामने उठाया था….तो ऐसे में चर्च की आलोचना करने पर अपने आप को निष्पक्ष होने का दावा करने वाले ट्विटर ने हैंडल्स को निलंबित कर अपना असली रंग दिखा दिया.
ट्विटर द्वारा निलंबित किया गया…..
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इन्हें इनकी औकात बताई तो मिर्ची लगी. क्यों भाई दूसरे धर्म पर मिथ्या उंगली उठाते हो और जब एक सही मुद्दे पर तुम्हारे बारे में बात हुई तो मिर्ची क्यूं लगी.
वे चाहते हैं जागे न कोई बस रात का कारोबार चले।
वे नशा बांटते जाएं और देश यूं ही बीमार चले।।
पर जाग रहा है देश मेरा हर भारतवासी जीतेगा।
सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा।।
मेरी आईडी भी उड़ गई थी।
क्या यही सोशल मीडिया की स्वतंत्रता है।