इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में “हिन्दुत्व अर्थात भारतीय एकात्मता – मुस्लिम विद्वेष नहीं’ पुस्तक का विमोचन
नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि हिन्दुत्व, वैश्विक एकात्मता का प्रतीक है. यह हिन्दुस्तान का मूल दर्शन और प्राणतत्व है. “वसुधैव कुटुंबकम’ इसका मूलमंत्र है, जिसका भाव आत्मीयता का है. लेकिन यह वैश्विकरण नहीं है. क्योंकि उसकी प्रकृति लाभ की है. सह सरकार्यवाह इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में “हिन्दुत्व अर्थात भारतीय एकात्मता-मुस्लिम विद्वेष नहीं’ पुस्तक के विमोचन अवसर पर संबोधित कर रहे थे. पुस्तक राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. एस. एन पठान ने लिखी है.
डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि भारत की परंपराओं अथवा संत पुरुष ने केवल अपने समाज और शिष्यों के कल्याण की बात नहीं की, बल्कि पूरे विश्व के लोगों में अपना परिवार देखा. इस विचार से पूरे विश्व को हम एक कर सकते हैं, अन्यथा झगड़े और विवाद होते रहेंगे. भारत सबके अंदर एक ईश्वरीय तत्व को देखता है. जो मेरे अंदर वही तुम्हारे अंदर, हम सब एक हैं. यह तब से है, जब हिन्दू शब्द भी नहीं था. प्राणी मात्र के कल्याण की कामना की इस भावना को पूरे विश्व ने कोरोना महामारी में देखा. जरूरतमंदों के लिए भोजन ही नहीं पशुओं-पक्षियों के भोजन की भी चिंता की गई.
हजारों वर्षों से विश्व इसका गवाह है. जिसने भी यहां शरण मांगी, उसे सह्दयता से आत्मसात किया. उनकी पूजा पद्धति, पुस्तकें, कर्मकांड, धार्मिक स्थल सभी को आदर के साथ जगह दी.
उन्होंने कहा कि धार्मिक व राजनीतिक विचार भले ही अलग-अलग हो, लेकिन इस सृष्टि से हैं, इसलिए हमारे हैं. हिन्दुत्व को इसी वृहद आकार में ही देखने का आग्रह करते हुए कहा कि अगर इसे छोटे रूप में देखेंगे तो विविधता सहन नहीं होगी, तब विवाद होगा.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने सत्य के साथ खड़े होने का आग्रह करते हुए कहा कि रावण भी प्रकांड विद्वान था, लेकिन उसके गलत कार्यों के कारण उसे शैतान कहा गया. कंस मथुरा का राजा था, लेकिन वहां के लोग उसे नहीं पूजते. इसी साहस की आवश्यकता है. आक्रांताओं को लेकर कहा कि कोई घर पर कब्जा कर ले, उसे ध्वस्त कर दे. यह कहां का लोकतंत्र है, लेकिन चाहे वह अपने धर्म का ही क्यों न हो. हम अपना घर पाने के लिए लड़ेंगे. पीढ़ी दर पीढ़ी लड़ेंगे. इस सत्य को कब समझेंगे. कब तक लोगों को अंधेरे में रखेंगे. कभी तो सत्य को आने देंगे. हम सबका डीएनए एक था, है और एक रहेगा. हमारे पूर्वज हिन्दुस्तान के थे, यह जितना जल्द समझ लेंगे. हम सबके लिए उतना ही अच्छा होगा.