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टीकाकरण का आंकड़ा 42 करोड़ के पार, ग्रामीण क्षेत्रों में अभियान को लेकर अधिक उत्साह

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नई दिल्ली. कोरोना के खिलाफ जंग में विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान भारत में चल रहा है. देश में टीकाकरण आंकड़ा 42 करोड़ को पार कर गया है. 23 जुलाई को प्रातः सात बजे तक प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार 51,94,364 सत्रों में कुल 42,34,17,030 वैक्सीन की डोज दी जा चुकी हैं.

अभियान के दौरान देखने में आया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण की गति तेज है. ग्रामीण स्वयं आगे आकर टीकाकरण करवा रहे हैं. वहीं, अभियान में लगे स्वास्थ्य कर्मी भी परेशानियों का सामना करते हुए दुर्गम क्षेत्रों तक टीकाकरण के लिए पहुंच रहे हैं, ताकि कोई भी व्यक्ति छूट न जाए. यही कारण है कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, अरुणाचल, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के कई गांवों में शत-प्रतिशत टीकाकरण हो चुका है.

अरुणाचल प्रदेश के एक सुदूर गांव के 16 चरवाहे मई में कोरोना टीकाकरण शिविर में शामिल नहीं हो सके. लगभग दो महीने बाद, स्वास्थ्य अधिकारियों ने लुगथांग गांव में उन्हें टीका लगाने के लिए सोमवार को समुद्र तल से 14,000 फीट से अधिक ऊंचाई तक पहुंचने के लिए नौ घंटे से अधिक समय तक ट्रैकिंग की.

राज्य के तवांग जिले के डोमस्टांग में 19 मई को आयोजित टीकाकरण शिविर में चरवाहे नहीं पहुंच सके थे. इसके बाद स्वास्थ्य अधिकारियों ने खुद जाने का फैसला किया. टीम ने अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए थिंगबू हाइडल नामक स्थान पर निकटतम मोटर योग्य सड़क से ट्रैकिंग की.

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के करसोग की दूरदराज पंचायत सरतेयोला में स्वास्थ्य विभाग की टीम को पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. टीम चलने फिरने में असमर्थ लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए सरतेयोला जा रही थी.

सड़क निर्माण कार्य के कारण रास्ता खराब हो गया था. टीम ने टीकाकरण के लिए सरतेयोला जाने की ठानी और जेसीबी के पंजे (बकेट) में बैठकर ढांक को पार किया. टीम ने चलने फिरने में असमर्थ करीब 12 बुजुर्गों को टीका लगाया. घर द्वार पर कोरोना वैक्सीन लगने से बुजुर्गों ने राहत की सांस ली.

बिहार के बाढ़ग्रस्त इलाकों में ‘टीका वाली नाव’ की काफी चर्चा है. मुजफ्फरपुर जिले के सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित प्रखंड कटरा में टीके वाली नाव पानी में तैर कर कई गांवों में घर-घर पहुंची और उस पर सवार टीकाकर्मियों ने लोगों को टीका लगाया. ऐसे ही बाढ़ग्रस्त अन्य जिलों में भी टीकाकरण अभियान तेजी से चल रहा है.

झारखंड के सिमडेगा जिला मुख्यालय से लगभग 44 किमी दूर छत्तीसगढ़ की सीमा से सटा है वनमारा गांव. यहां तक पहुंचने लिए आज भी कच्ची सड़क ही है. इसके बावजूद टीकाकर्मियों ने गांव में जाकर सभी लोगों को कोरोना का टीका लगाया. 442 लोगों के इस गांव में कुल 306 लोगों ने टीका लेकर स्वयं को कोरोना से सुरक्षित कर लिया है. वनमारा सिमडेगा जिले का पहला ऐसा गांव बन गया है, जहां सभी पात्र लोगों को टीका लगा दिया गया है.

पाकिस्तान के साथ लगी नियंत्रण रेखा (एलओसी) के आसपास के कई गांवों में सभी पात्र लोगों को टीका लगाया गया है. एक ऐसा ही गांव है बोबिया. इसे इस क्षेत्र में भारत का अंतिम गांव कहा जाता है. यहां 18 वर्ष से अधिक आयु वाले सभी लोगों को टीका लग चुका है.

इससे पहले लद्दाख के सभी गांवों में टीकाकरण हो चुका है, जबकि इस सुदूर क्षेत्र में कई तरह की परेशानियां हैं. इसके बावजूद शत-प्रतिशत टीकाकरण होना बड़ी बात है.

मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के नौगांव की 95 वर्षीय बुजुर्ग महिला सोनिया बाई शर्मा की प्रेरणा से पूरे गांव का 100 प्रतिशत टीकाकरण हो गया. पहले अफवाहों के कारण गांव के लोग कोरोना का टीका लगवाने से डरते थे. टीका लगवाने के बाद बुजुर्ग महिला ने बताया कि उन्हें किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हुई तो और लोग टीका लगवाने के लिए तैयार हो गए.

जम्मू-कश्मीर — 45 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में 12 जिले पहले से ही सौ फीसद टीकाकरण कर चुके हैं. इनमें कश्मीर संभाग के आठ जिले अनंतनाग, कुलगाम, शोपियां, पुलवामा, बडगाम, बारामुला, गांदरबल और बांडीपोरा शामिल है. जम्मू संभाग में जम्मू, राजौरी, पुंछ और सांबा जिलों में सौ फीसद टीकाकरण हुआ है. अन्य आठ जिलों में श्रीनगर जिले में 90.20 फीसद, कुपवाड़ा में 78.49, ऊधमपुर 88.31, कठुआ 94.23, रामबन 95.13, डोडा 90.35 और किश्तवाड़ 96.65 फीसद टीकाकरण हुआ है.

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