नई दिल्ली. वनवासी कल्याण आश्रम का प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष से मिला. प्रतिनिधिमंडल ने बंगाल में चुनाव परिणाम बाद की हिंसक घटनाओं में बड़ी संख्या में शिकार हुए अनुसूचित जाति एवं जनजाति समाज के लोगों को मुआवजा देने, घटनाओं की जाँच के लिए उच्चतम न्यायालय की निगरानी में विशेष जाँच दल बनाने, शिकायतकर्ताओं और गवाहों को केन्द्रीय सुरक्षाबलों की सुरक्षा देने, न्याय हित में पड़ोसी राज्य असम व बिहार में विशेष न्यायालय बनाकर उनमें इन मामलों की सुनवाई करने की मांग की.
राष्ट्रपति, बंगाल के राज्यपाल को भेजे गए और दिल्ली में दिए गए ज्ञापनों में कहा गया है कि 9 ज़िलों के 45 गांवों में 100 से भी अधिक हुई हिंसक घटनाओं में 500 से भी अधिक जनजाति परिवार मारपीट, आगजनी और लूट के शिकार हुए. दो जनजाति युवकों की हत्या कर दी गई, जिसे पुलिस ने बाद में आत्महत्या और दुर्घटना का मामला बता दिया. कई महिलाएं बलात्कार का शिकार हुईं. गत दिनों जनजाति आयोग के दौरे में भी ये बातें सामने आई हैं. इन हमलों में बच्चों, बूढों और महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया. लुटेरों ने चाय-बागान की फसल और घरों में अनाज भी नहीं छोड़ा.
कुल मिलकर 16 जिलों के 3662 गांवों के 40 हज़ार लोग हिंसा के शिकार हुए, 30-35 लोगों की हत्या हुई, सैकड़ों मकान जला दिए गए, हजारों लोगों को अपनी जान बचाने पड़ोसी राज्यों या जंगलों में भागना पड़ा. हमले और डराने-धमकाने का काम अभी भी रुका नहीं है. उन्हें राशन की दुकानों से अनाज लेने के लिए भी उन्हीं गुंडों की सिफारिश करानी पड़ती है. पुलिस भी राज्य सरकार के दबाव और समुदाय विशेष के गुंडों के भय से कोई क़ानूनी कार्रवाई नहीं कर रही. राज्य में संवैधानिक विफलता का यह स्पष्ट प्रमाण है.
ज्ञापन में मांग की गई कि अभियुक्तों की जल्द गिरफ़्तारी हो और जब तक मुकदमों की सुनवाई चले तब तक राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग अपना कैंप कार्यालय बंगाल में खोलें जो इन मामलों की निगरानी करे ताकि लोगों को न्याय मिल सके. राज्य में जान-माल-आगजनी से हुए नुकसान के आंकलन का काम राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग और रामकृष्ण मिशन जैसे निष्पक्ष संगठनों को सौंपा जाए. जिसकी रिपोर्ट के आधार पर पीड़ित लोगों को केंद्र या राज्य सरकार समुचित मुआवजा दे. मारे गए लोगों के आश्रितों में से एक-एक सदस्य को केंद्र सरकार के उपक्रमों में नौकरी या उनके माँ-बाप को मासिक पेंशन देने और गंभीर रूप से घायल लोगों को मुआवजा देने की भी मांग की गई.
वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामचंद्र खराडी की अध्यक्षता में शिष्टमंडल में बंगाल, उत्तराखंड, दिल्ली और राजस्थान से वरिष्ठ पदाधिकारी सम्मिलित थे.