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वनवासी कल्याण आश्रम – जगदेवराम उरांव जी नहीं रहे

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नई दिल्ली. अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष जगदेवराम उरांव जी का निधन दिल का दौरा पड़ने से आज शाम ३.०० बजे आश्रम मुख्यालय जशपुर नगर में हुआ. वे 72 वर्ष के थे. वे आश्रम से 3 किमी. दूरी पर स्थिति कोमोड़ो गाँव के निवासी थे. उनके 3 भाई एवं 2 बहनें हैं. जगदेवराम जी गत दो वर्षों से फेफड़े एवं हृदय संबंधी रोगों से पीड़ित थे.

वर्ष 1995 में आश्रम के संस्थापक अध्यक्ष वनयोगी बालासाहब देशपाण्डे जी के स्वर्गवास के उपरांत जगदेवराम जी पर कल्याण आश्रम का नेतृत्व करने का गुरुतर दायित्व आ गया था.

कल्याण आश्रम में जगदेव राम जी का प्रवेश 1968 में आश्रम द्वारा संचालित विद्यालय में शिक्षक के रूप में हुआ था. स्वर्गीय देशपाण्डे जी ने 1980 के दशक में कल्याण आश्रम के कार्य विस्तार हेतु भारत भ्रमण किया था, तब सतत सहचारी के रूप में जगदेव राम उरांव जी भी साथ में थे. कल्याण आश्रम के उपाध्यक्ष के रूप में भी दीर्घकाल तक दायित्व निर्वहन किया. बाद में उन्हें 1993 के कटक सम्मेलन के दौरान संगठन का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया.

कल्याण आश्रम के विविध कार्यक्रमों को सफल बनाने हेतु उन्होंने आगे रहकर नेतृत्व किया. जनजाति समाज के संदर्भ में ‘दृष्टि नीति पत्र’ को तैयार करने और प्रकाशित करने में उनकी सराहनीय भूमिका रही. जनजाति युवाओं के लिये खेल महोत्सव और खेल प्रतियोगिता का आयोजन प्रति वर्ष करने हेतु वे सतत प्रेरणा देते रहे. शबरी कुंभ, प्रयाग कुंभ और उज्जैन के सिंहस्थ कुंभ के दौरान आयोजित जनजाति सांस्कृतिक नृत्य का कार्यक्रम, झाबुआ में 2003 में हुई विशाल वनवासी सम्मेलन, भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के सहयोग से “जनजाति प्रतिमा एवं वास्तविकता” इस विषय पर आयोजित सेमिनार आदि उनके कार्यकाल में हुई विशेष उल्लेखनीय कार्यक्रम हैं.

उरांव जनजाति के आस्था का केन्द्र रोहतासगढ़ के इतिहास को पुनर्जागरण करने और देश भर के उरांव जनजाति को एक सूत्र में बांधने का प्रयास भी जगदेवराम जी के नेतृत्व में हुआ.

जनजाति समाज का सरना पर्व को सामूहिक रूप से मनाते हुए जनजाति समाज का स्वाभिमान जगाने के कार्य में भी वे अग्रणी थे और अंतिम समय तक इस कार्य में वे जुटे रहे.

उनके नेतृत्व में कई सेवा कार्य और राहत कार्य करने में कल्याण आश्रम सफल रहा है. अभी कल्याण आश्रम का कार्य देश के लगभग 500 जनजाति समूह तक व्याप्त हुआ है. आश्रम के कार्य की पहुंच 50,000 से अधिक गाँवों तक है. वर्तमान समय में प्रकल्पों की संख्या 20,000 से अधिक है और देश के लगभग सभी प्रांतों के 14,000 गावों में अपना नियमित कार्य चल रहा है. सब कार्यों का मुख्य श्रेय जगदेवरामजी को जाता है.

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