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भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रणेता वीर सावरकर – उदय माहुरकर

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सीकर. शेखावाटी साहित्य संगम के दूसरे दिन का शुभारंभ आशुतोष द्वारा बाँसुरी वादन के साथ किया गया. प्रथम सत्र के मुख्य अतिथि भारतीय गणराज्य के मुख्य सूचना आयुक्त उदय माहुरकर रहे. सत्र के चर्चा प्रवर्तक जी न्यूज राजस्थान के संपादक मनोज माथुर रहे. सत्र में अपनी पुस्तक सामर्थ्यवान भारत के दृष्टा वीर सावरकर पर उन्होंने सावरकर के राष्ट्र प्रथम विचार को दृढ़ता के साथ रखा. उन्होंने बताया कि सावरकर ने राष्ट्रप्रेम, स्वदेशी, स्वराज पर विशेष बल देते हुए अपने विचार सदैव प्रभावी रूप से रखते थे.

माहुरकर ने शंभाजी, राव शेखा, महाराणा प्रताप, वीर दुर्गादास के स्वदेशी एवं स्वराज के विषय की भी चर्चा सत्र में की. उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत में वीर सावरकर को जो स्थान मिलना चाहिए था वो गोडसे द्वारा गांधी हत्या का नाजायज फायदा वामपंथियों द्वारा उठाने के कारण प्राप्त नहीं हो सका. उन्होंने बताया कि वर्ष 1937 में उन्हें कांग्रेस पार्टी में आने का न्योता दिया गया था. किंतु कांग्रेस द्वारा हिन्दुओं के अधिकारों की कीमत पर मुस्लिम तुष्टिकरण को बढ़ावा देने के कारण उन्होंने कांग्रेस में जाना स्वीकार नहीं किया और हिन्दू महासभा जैसी छोटी पार्टी से जुड़े. वीर सावरकर भारत की एकता अखंडता के प्रतीक हैं. कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण से देश पीछे हुआ है.

माहुरकर ने बताया कि अनुच्छेद 370 को हटाना सावरकर युग का प्रारम्भ है. वीर सावरकर को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के भविष्य दृष्टा के रूप में बताया. जिन्होंने वर्तमान समस्याओं की भविष्यवाणी काफी वर्ष पहले ही कर दी थी. उन्होंने विभिन्न देशों के मध्य अंतरराष्ट्रीय संबंध एवं राष्ट्र की सैन्य शक्ति पर काफी जोर दिया. मजहब, जाति से ऊपर उठकर राष्ट्र गौरव और त्वरित न्याय व्यवस्था ही देश को महान बनाने का मूल आधार है. यदि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हम सावरकर के नेशन फर्स्ट के सिद्धांत को अपनाते हैं तो राष्ट्र में सांस्कृतिक पुनरुत्थान एवं गरीबी उन्मूलन को गति मिलेगी. कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में अभिनेता आशीष शर्मा द्वारा हिन्दुत्व चैप्टर-1 फ़िल्म पर विस्तृत चर्चा हुई. हिन्दू जीवन दर्शन और वर्तमान भारतीय सन्दर्भ में इसके महत्व को उन्होंने समझाया.

शेखावाटी साहित्य संगम के संयोजक बाबूलाल ने बताया कि तीसरे सत्र में विजन 2047 पर विषय का प्रारंभ करते हुए उदय माहुरकर ने बताया कि 2047 तक भारत तकनीकी रूप से शक्तिशाली एवं पुनः विश्वगुरु बन सके, ऐसी तैयारी करनी होगी. इसके लिए हमें अपने अंदर की कमियों को दूर करना होगा. इसी सत्र में सुबुही खान ने बताया कि भारत को विश्वगुरु एवं शक्तिशाली बनाने के लिए हमारे पुराने जीवन मूल्यों पर आना होगा, जिसमें धर्म प्रधान जीवन पद्धतियों पर जोर दिया जाता था. जिसमें धर्म का आशय धारण करने योग्य बातों से था.

अभिनेता आशीष शर्मा ने कहा कि इसके लिए हमें हमारी शिक्षा पद्धति में परिवर्तन करते हुए चरित्र आधारित शिक्षा आने वाले पीढ़ी को देनी होगी. मनोज माथुर ने कहा कि नई शिक्षा पद्धति को लागू करने के लिए बहुत अधिक प्रयत्न करने होंगे, तब इसके लाभ होंगे.

वाद विवाद प्रतियोगिता एवं पोस्टर प्रतियोगिता में 13 विद्यालय एवं महाविद्यालयों ने भाग लिया. वाद विवाद प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर गुलाबी देवी स्कूल की जयश्री, द्वितीय स्थान पर सीकर विद्यापीठ स्कूल की आराध्या शर्मा एवं तृतीय स्थान पर राजकीय विधि महाविद्यालय से लक्ष्मी दाधीच रही. पोस्टर प्रतियोगिता में प्रथम स्थान जाहन्वी शर्मा ने प्राप्त किया. द्वितीय स्थान पर संस्कार इंटरनेशनल स्कूल से कनक शर्मा रही. तृतीय स्थान पर सीकर विद्यापीठ स्कूल से खुशी चौधरी रही.

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