विगत कुछ वर्षों से केन्द्रीय सत्ता में राष्ट्रीय हितों एवं भारतीय संस्कृति के प्रति सकारात्मक चिन्तन एवं कार्य से युक्त सरकार के आने के बाद अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं. जिसमें श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मन्दिर निर्माण के मार्ग को प्रशस्त कर विगत 05 अगस्त, 2020 को भूमि पूजन सम्पन्न करने के साथ श्री काशी विश्वनाथ धाम कोरीडोर सहित देश के सभी प्रतिष्ठित तीर्थस्थलों के समग्र विकास के लिए योजना तथा धन आबंटन जैसे प्रमुख कार्य हैं.
जम्मू कश्मीर से धारा 370 व 35ए को समाप्त कर जीर्णशीर्ण तथा भग्न मन्दिरों के जीर्णोद्धार की योजना बनाई. नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) द्वारा सम्पूर्ण विश्व में कहीं भी प्रताड़ित भारतीय मूल के सम्प्रदायों के लिए नागरिकता का मार्ग प्रशस्त किया. सरकार द्वारा भारतीय संस्कृति के हितार्थ किए जा रहे कार्यों के प्रतिक्रिया स्वरूप राष्ट्र विरोधी तत्त्व भी बहुत तीव्रगति से सक्रिय हुए हैं. एक तरफ मजहबी आतंकवाद से प्रेरित ‘लव जिहाद’ तो दूसरी तरफ ईसाई मिशनरियों द्वारा संचालित धर्मान्तरण एवं शहरी नक्सलियों का राष्ट्र विरोधी अभियान भी तीव्र हुआ है.
विगत अप्रैल, 2020 में पालघर (महाराष्ट्र) में पुलिस की उपस्थिति में दो संन्यासियों और उनके चालक की नृशंस हत्या के पीछे वहां सक्रिय चर्च NGO के राजनैतिक गठजोड़ का विभत्स स्वरूप देखने को मिला. महाराष्ट्र सरकार द्वारा उस पर पर्दा डालने का प्रयास एवं जिन भी व्यक्ति अथवा संस्था ने आवाज उठाई, उसे निर्ममता से कुचलने का प्रयास किया जा रहा है और महाराष्ट्र सरकार द्वारा CBI जांच की अनुशंसा न करना तथा जांच के पूर्व ही मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री द्वारा घटना को भ्रम-जनित करार देना किसी बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है. यह उपवेशन पालघर घटना की निष्पक्ष CBI जांच की मांग करता है.
आज मजहबी आतंकवाद अनेक रूपों में हमारे देश में सक्रिय है. वर्तमान समय में लव जिहाद के रूप में हिन्दू बहन-बेटियों को झूठे प्रेमजाल में फंसाना ही नहीं, अपितु बलात् अपहरण और हत्या की अनेक घटनाएं स्थान-स्थान पर सामने आ रही हैं. बल्लभगढ़ में धर्मान्तरण कर विवाह नहीं करने पर निकिता तोमर नामक बालिका की सरेआम सार्वजनिक स्थान पर हत्या कर दी गई, इन जिहादियों के बढ़े हुए मनोबल का आभास करा दिया है. सम्पूर्ण देश में सुनियोजित षड्यंत्र द्वारा यह क्रियान्वित किया जा रहा है. अनेक अपराधियों ने यह भी स्वीकार किया है कि इस कार्य हेतु प्रशिक्षण एवं पर्याप्त धन उनको प्राप्त होता है. ऐसे मजहबी आतंकवादियों पर कठोर कार्यवाही करने तथा एक समग्र कानून बनाने की यह उपवेशन मांग करती है तथा हिन्दू समाज को सावधान रहने के लिए आग्रह करती है.
कांग्रेस, वामपंथ एवं अर्बन नक्सलियों की युक्ति राष्ट्र विरोधी एवं हिन्दू समाज के मध्य दरार पैदा करने वाली गतिविधियों को निरन्तर न केवल समर्थन कर रहा है, अपितु नित-नूतन षड्यंत्रों को रचने में संलग्न है. जिसमें हाथरस की घटना को जातिय स्वरूप प्रदान कर उत्तर प्रदेश को जातिय दंगों में झोंकने का असफल प्रयास किया गया. इस घटना के रहस्योद्घाटन से स्पष्ट हुआ कि हिन्दू समाज को तोड़ने के लिए मीडिया का एक पक्ष भी सहायक बना हुआ है, जिसकी यह उपवेशन कठोर शब्दों में निन्दा करता है.
हमारे लिए हिन्दू समाज की बहन-बेटियों में कोई अन्तर नहीं है. चाहे बल्लभगढ़ की हो या हाथरस की. नारी सम्मान हिन्दू समाज की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है. इतिहास के दो बड़े युद्ध रामायण और महाभारत नारी सम्मान हेतु लड़े गए थे.
पश्चिम बंगाल एवं केरल में निरन्तर हिन्दुओं की हत्या और प्रताड़ित करने के कार्य हो रहे हैं. इन घटनाओं पर वामपंथी लेखक और विचारकों की मौन स्वीकृति तथा हिन्दू समाज की छोटी-छोटी घटना को बढ़ा-चढ़ा कर असत्य रूप में प्रस्तुत कर समाज में तनाव पैदा करना, इनका राष्ट्र-घातक उद्देश्य है. हमारी परम्परा, रीति-रिवाज, मठ-मन्दिर एवं साधु-सन्तों को बदनाम करना, इन वामपंथी बुद्धिजीवियों का एक सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा है. हिन्दू समाज को इनके विरुद्ध न केवल जागृत रहने अपितु प्रबल विरोध करने की भी आवश्यकता है.
ऐसी परिस्थिति में यह बैठक आह्वान करती है कि देश की सन्त शक्ति सभी जातीय भेदभाव मिटाकर समरस समाज बनाने के अपने कार्य को तीव्र-गति दे.
सन्त समाज यह भी आह्वान करता है कि अपनी परिवार परम्पराओं को पुनः स्नेह और धर्म-पालन से मजबूत करे, जिससे अपनी बहन-बेटियों को किसी के बनावटी प्रेमजाल में पड़ने से बचाया जा सके.
सन्त समाज अभी और कुछ पीढ़ियों से मुसलमान-ईसाई बन गए बन्धुओं से आग्रह करता है कि अपने पुनीत हिन्दू धर्म में ससम्मान लौट आएं.
प्रस्तावक – म. म. हरिहरानन्द सरस्वती, अमरकंटक
अनुमोदक – स्वामी जितेन्द्रानन्द सरस्वती जी, महामंत्री-अखिल भारतीय सन्त समिति
म.म. अखिलेश्वरानन्द गिरि जी, जबलपुर