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लोकतंत्र में मानवीय अधिकारों का हनन सबसे बड़ी चुनौती – जगदीप धनखड़

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उदयपुर. प्रताप गौरव केंद्र द्वारा आयोजित महाराणा प्रताप जयंती समारोह के दौरान 15 जून को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ जी ने राजनैतिक हिंसा से जूझता लोकतंत्र विषय पर संबोधित किया.

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में मानवीय अधिकारों का हनन सबसे बड़ी चुनौती है. आम नागरिक के मानवीय अधिकारों पर अगर कुठाराघात होता है, और उसकी फरियाद नहीं सुनी जाती, राहत नहीं मिलती तो उससे बड़ी शर्मनाक बात ओर कोई नहीं हो सकती.

पश्चिम बंगाल में हिंसा पराकाष्ठा पर है. आम व्यक्ति स्वयं पर होने वाले अत्याचार का प्रतिकार नहीं कर सकता है. अगर वह पुलिस थाने में जाता है, तो उल्टा उसे ही मुलजिम बना दिया जाता है. गत 2 मई को चुनाव के नतीजे आने के बाद हिंसा का तांडव शुरू हुआ. वहां हो रही लोकतंत्र की हत्या को लेकर मैंने कई बार ममता बनर्जी सरकार से रिपोर्ट मांगी, लेकिन मुझे आज तक उपलब्ध नहीं कराई गई. राज्यपाल ने कहा कि जब मैं प्रभावित लोगों का दुःख-दर्द सुनने गया तो वहां कोई पत्रकार नहीं आया. यह निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता नहीं है. आम नागरिक चाहे वह किसी भी स्तर का है, उसके साथ प्रजातंत्र में यह होना ठीक बात नहीं है. हालत बिगड़ते जा रहे हैं. हिन्दू होना भी गुनाह हो गया है.

जब वहां के लोगों से पूछा तो बताया कि क्या हम धर्म परिवर्तन कर लेंगे तो बच जाएंगे. जिंदा रहने के लिए हम ऐसा कर सकते हैं. जन जन में डर है. यही नहीं पश्चिम बंगाल में खिलाफ जाकर वोट डालने की हिमाकत करने का भी लोगों को खामियाजा भुगतना पड़ता है. वहां रहने वाले व्यक्ति को अपने घर में रहने के लिए टैक्स देना पड़ रहा है. व्यापार करने के लिए भी टैक्स देना पड़ता है. वहां के नौकरी करने वाले सरकारी कर्मचारी वर्दी को शर्मसार करते हैं. कानून-नियमों को तिलांजलि दे चुके हैं. पश्चिम बंगाल की चुनौती राष्ट्र के लिए चुनौती है. प्रजातंत्र तभी बचेगा, जब आम नागरिक दूसरों की पीड़ा को अपनी पीड़ा समझेगा. चाहे कितना भी निरंकुश शासन हो, उसे एक ना एक दिन काम करना ही पड़ेगा. हां संतोष भी है, अब लोगों में विश्वास बढ़ा है, जागरूकता आई है.

केन्द्र सरकार और राज भवन के बीच की भूमिका पर कहा कि मैं संविधान में विश्वास करता हूं. राज्यपाल पर आरोप लगाना आसान है. पर, मैं कहता हूं कि मैंने कर्तव्य के दायरे से बाहर कोई कार्य किया है तो चर्चा करें, मैं चर्चा को तैयार हूं. पश्चिम बंगाल में जो हो रहा है, वह एक व्यक्ति की बात नहीं है. बहुत ही गहराई से सोची समझी साजिश है.

राजभवन तो अपनी भूमिका निभा रहा है. लेकिन सरकार कोई डाक्युमेंट नहीं दे रही इस सवाल पर धनखड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री की ड्यूटी है कि वह मेरे द्वारा पूछी गई हर बात का जवाब दे. मैं नहीं चाहता कि हालात ओर बदतर हो जाएं

भयावह स्थिति पर केन्द्र सरकार या राष्ट्रपति के पास रिपोर्ट भेजने के सवाल पर कहा कि मैं हर माह राज्य की गतिविधि से उन्हें अवगत कराता हूं. आज पश्चिम बंगाल में प्रजातंत्र अंतिम सांस ले रहा है. देश  को बहुत बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा. आम लोगों को सजग होने की आवश्यकता है. पश्चिम बंगाल में प्रजातांत्रिक मूल्य व्यवस्था तार-तार हो रही है. चुनाव हो गया, नतीजे आ गए, सतारूढ़ और विपक्ष को मिलकर जनता की सेवा करनी चाहिए, ना कि टकराव करना चाहिए. टकराव राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच भी नहीं होना चाहिए.

बंगाल में राष्ट्रपति शासन पर कहा कि जो सत्ता में है, संवैधानिक पदों पर हैं, उन्हें भारतीय संविधान के अनुरूप अपनी जिम्मेदारी समझकर काम करना होगा.

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