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स्वयंसेवकों ने जरूरतमंदों की सेवा कर सामाजिक कर्तव्य का निर्वहन किया

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काशी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काशी प्रांच प्रचारक ने कहा कि जब वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण ने विश्व भर को भयभीत कर दिया था और पूरी दुनिया को अपने घरों में बन्द रहने के लिए विवश कर दिया था, तब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने विपत्ति के समय अपने साहस का परिचय देते हुए समाज के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया था. वे रविवार को काशी दक्षिण भाग के मानस नगर, शिवाला (रत्नाकर) शाखा के वार्षिकोत्सव में संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि संघ की शाखा अद्भुत कार्यशाला है, जहां व्यक्तित्व निर्माण होता है. कोरोना काल के दौरान समर्पित स्वयंसेवकों के सेवाभाव और समर्पण को दुनिया ने देखा था, किस प्रकार स्वयंसेवकों ने असहाय और गरीब लोगों की सेवा कर अपने सामाजिक कर्तव्य का निर्वहन किया. स्वयंसेवकों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि संघ के स्वयंसेवकों ने “कश्मीर से कन्याकुमारी भारत माता एक हमारी” इस नारे को आत्मसात किया है. जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण कश्मीर को मिले विशेष राज्य का दर्ज़ा समाप्त होना है.

वार्षिकोत्सव की अध्यक्षता करते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वेद विभाग, सेवानिवृत्त प्रो. हृदय रंजन शर्मा ने कहा कि सच्चा सुख तभी मिलता है, जब पूरे विश्व को परिवार माना जाता है. संघ इसी मूल भावना के साथ कार्य करता है.

इससे पूर्व शाखा के स्वयंसेवकों ने खेल, दंड प्रयोग, पदविन्यास, सूर्य नमस्कार, आसन, व्यायाम योग, सामूहिक गणगीत, घोष वादन का सुन्दर प्रदर्शन किया. इस दौरान अल्पसंख्यक लोगों के साथ क्षेत्र के गणमान्य प्रबुद्धजन एवं स्वयंसेवक परिवारों से माताएं-बहनें भी उपस्थित रही.

एक माह से हो रही थी वार्षिकोत्सव की तैयारी

वार्षिकोत्सव हेतु स्वयंसेवक पिछले एक माह से तैयारी कर रहे थे. जिसमें प्रतिदिन सामूहिक गीत, खेल, समता, दंड एवं पदविन्यास आदि का अभ्यास स्वयंसेवकों द्वारा किया जा रहा था. कार्यक्रम के दौरान 50 स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में उपस्थित रहे. आबादी की दृष्टि से काफी घनी बस्ती वाले इस शाखा क्षेत्र को 5 गट में बांटा गया. इस बीच स्वयंसेवक अपने परिवारों के माता-बहनों एवं अभिभावकों की उपस्थिति से उत्साहित थे.

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