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वायनाड – आपदा के समय सेवा कार्य में अग्रिम रहना स्वयंसेवकों का स्वभाव

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वायनाड, केरल.

अट्टमाला में भूस्खलन के दौरान अपने पड़ोसियों को बचाने के प्रयास में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दो स्वयंसेवक, शरत और प्रजीश बलिदान हो गए. दोनों स्वयंसेवक भूस्खलन के बाद बचाव कार्य में लगे थे. बचाव कार्य चल ही रहा था कि एक और भूस्खलन हुआ, जिसने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया और दोनों वीरगति को प्राप्त हो गए. प्रजीश का पार्थिव शव 500 मीटर नीचे से प्राप्त हुआ, जबकि शरत का शव अभी तक नहीं मिला है.

सेवा कार्य करना स्वयंसेवकों का स्वभाव

हर आपदा में बचाव व राहत कार्य चलाना व उसमें प्रशासन का सहयोग करना संघ स्वयंसेवकों का स्वभाव है. “वह जीवन भी क्या जीवन है, जो काम देश के आ न सका” जैसे संघ गीत उनकी प्रेरणा बनते हैं. यही कारण है कि देश में जब भी कहीं आपदा आती है, अग्रिम पंक्ति में खड़े नजर आते हैं.

वर्तमान में वायनाड में भी बचाव कार्य करते देख सकते हैं. स्वयंसेवकों ने मेप्पाडी में एक सहायता डेस्क स्थापित किया है और राहत कार्यों का सक्रिय रूप से समन्वय कर रहे हैं. सैकड़ों प्रभावितों को भोजन और सहायता प्रदान की जा रही है. तमिलनाडु के नीलगिरी जिले के स्वयंसेवक भी राहत कार्यों में शामिल हुए हैं.

केरल की 2019 व 2018 की बाढ़ के दौरान भी स्वयंसेवकों ने राहत गतिविधियां चलाई थीं, जिसके लिए उनकी सर्वत्र प्रशंसा हुई थी. आज स्थिति यह है कि किसी भी आपदा के समय लोगों की नजरें स्वत: ही संघ स्वयंसेवकों को ढूंढने लगती हैं. वायनाड में भी जब पहला भूस्खलन हुआ और इसकी जानकारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को मिली, तो उत्तर केरल प्रांत संघचालक केके बलराम ने स्वयंसेवकों और सेवा भारती के कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वे पीड़ितों की सहायता के लिए जुट जाएं. आह्वान के बाद 651 स्वयंसेवक राहत कार्य में लगे. कार्यकर्ताओं ने सबसे पहले जहां-तहां फंसे लोगों को बाहर निकाला.

फावड़े और अन्य उपकरणों के माध्यम से रास्तों को साफ किया. इससे घायलों को अस्पताल तक पहुंचाने और आम लोगों की आवाजाही में सहायता मिली. कार्यकर्ताओं ने पीड़ितों के लिए भोजन की भी व्यवस्था की. एक भोजनालय प्रारंभ किया, यहां खाना तैयार कर प्रभावित लोगों तक पहुंचाया जा रहा है. प्रभावित क्षेत्रों में कीटाणुनाशक पाउडर का छिड़काव किया, लोग किसी बीमारी की चपेट में न आ जाएं.

यही नहीं, सेवा भारती के कार्यकर्ता मृतकों के अंतिम संस्कार में भी सहयोग कर रहे हैं. केरल सेवा भारती के पास अनेक वाहन हैं, जिनमें अंतिम संस्कार की सुविधा है. एक वाहन में तीन एलपीजी सिलेंडर लगे रहते हैं. इससे लगभग डेढ़ घंटे में एक शव का अंतिम संस्कार हो जाता है.

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भी स्वयंसेवकों के सेवाकार्य की प्रशंसा की. प्रजीश व शरत के बलिदान को याद करते हुए राष्ट्रोदय के ध्येय के साथ रविवार को धनबाद में पौधारोपण किया. लगाए गए 40 पौधों में आम के दो पौधों के नाम प्रजीश और शरत रखते हुए स्वयंसेवकों ने श्रद्धांजलि दी.

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