सूर्यप्रकाश सेमवाल
राष्ट्ररक्षासमं पुण्यं, राष्ट्ररक्षासमं व्रतम्, राष्ट्ररक्षासमं यज्ञो, दृष्टो नैव च नैव च…
(राष्ट्र रक्षा के समान कोई पुण्य नहीं, राष्ट्र रक्षा के समान कोई व्रत नहीं, राष्ट्र रक्षा के समान कोई यज्ञ नहीं)
यह उस संस्कृत श्लोक का भावार्थ है जो प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने देश की धरती पर अंबाला एयरबेस में राफेल के पहुँचने पर उसके स्वागत में ट्वीट कर लिखा था. नभः स्पृशं दीप्तम्..स्वागतम् ! वायुसेना के आदर्श ध्येय वाक्य को याद दिलाकर आकाश में व्याप्त इसकी दीप्त शक्ति का विश्वास बताया. फ्रांस के एयरबेस से चलकर यूएई के दाफ्रा एयरबेस से होते हुए 2 सुखोई विमानों की सुरक्षा निगरानी में 05 राफेल विमान 29 जुलाई को अंबाला एयरबेस पहुँच गए.
देशभर में राफेल के प्रति उत्साह, गौरव और आनंद का भाव व्याप्त था. अंबाला एयरबेस में राफेल विमानों की अगवानी के लिए भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया स्वयं उपस्थित थे. राफेल की सफल लैंडिंग के बाद वायुसेना के अधिकारियों द्वारा सम्मान स्वरूप पाँचों राफेल विमानों को वाटर सैल्यूट दिया गया. राफेल विमान को सुरक्षित लाने वाली टीम का नेतृत्व करने वाले वायुसेना अधिकारी ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह के साथ एयरबेस पर लैंडिंग के बाद सभी पायलटों का वायुसेना प्रमुख ने स्वागत किया. एयर चीफ मार्शल भदौरिया ने राफेल लड़ाकू विमानों को फ्रांस से भारत बिना किसी बाधा के सुरक्षित लाने के लिए पायलटों के साहस व कौशल की प्रशंसा की.
एक सर्वशक्तिमान योद्धा के रूप में भारतीय वायुसेना के लिए राफेल लड़ाकू विमान बहुत महत्त्वपूर्ण है. भारत की सामरिक व भौगोलिक स्थितियों के अनुरूप ही इसे अधुनातन व एडवांस्ड तकनीक से लैस किया गया है और भारत की आवश्यकता के मद्देनजर इसमें कुछ अतिरिक्त फीचर्स भी जोड़े गए हैं. भारत से पहले केवल फ्रांस में और मिश्र में ही राफेल जेट का प्रयोग किया जाता रहा है. तूफ़ान का पर्याय माना जाने वाला राफेल एक मिनट में 60 हजार फीट की ऊंचाई तक आसानी से पहुँच सकता है.
यह दो इंजन वाला लड़ाकू विमान किसी भी तरह के मिशन में भेजा जा सकता है. इस लड़ाकू विमान की लंबाई लगभग 15 मीटर के आसपास होती है. राफेल 24,500 किलोग्राम तक के वजन के साथ भी आसानी से उड़ान भरने में सक्षम है. राफेल की अधिकतम गति 2200 से 2500 किमी. प्रतिघंटा है और इसकी रेंज 3700 किलोमीटर है. राफेल के अंदर ईंधन क्षमता 4700 किलोग्राम है. यह विमान इलेक्ट्रानिक स्कैनिंग रडार से थ्रीडी मैपिंग कर वास्तविक समय में अपने लक्ष्य की वास्तविक स्थिति जानने में समर्थ होता है. थाले आरबीई-2 रडार और थाले स्पेक्ट्रा वारफेयर सिस्टम लगा है. इसके साथ ही इसमें ऑप्ट्रॉनिक सेक्योर फ्रंटल इंफ्रा-रेड सर्च और ट्रैक सिस्टम भी लगा है. किसी भी मौसम व भौगोलिक स्थिति के बीच भी लंबी दूरी के खतरे को भी समय रहते भांपने में सक्षम है.
नजदीकी और आमने-सामने की लड़ाई में राफेल एक साथ कई टारगेट पर दृष्टि रख सकता है. इसी प्रकार राफेल जमीनी सैन्य ठिकाने के साथ ही किसी विमानवाहक पोत से भी उड़ान भरने में समर्थ है.
अपने जिस विशेष गुण और ताकत के लिए राफेल की चर्चा होती है, वह है इसमें लगने वाले घातक एमबीडीए एमआइसीए, एमबीडीए मेटेओर, एमबीडीए अपाचे, स्टोर्म शैडो एससीएएलपी मिसाइलें.
राफेल शत्रु के लिए सबसे बड़ा विनाशक इसलिए भी सिद्ध होता है क्योंकि इसमें 30 एमएम की तोप से 2500 राउंड गोले दागे जा सकते हैं. राफेल आकाश व धरती दोनों का ही राजा कहलाता है. यह लड़ाकू विमान 1900 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज गति से उड़ सकता है तो ठीक इसी तरह 300 किलोमीटर की रेंज से हवा से जमीन पर परमाणु हमला करने में सक्षम है. यह बहुत कम ऊंचाई पर उड़ान के साथ हवा से हवा में मिसाइल दाग सकता है.
बहुत ऊंचाई पर स्थित एयरबेस से भी राफेल में उड़ान भरने की क्षमता है. ठंडे मौसम में भी यह विमान तेजी से काम करने में समर्थ है. राफेल लड़ाकू विमान में ऑक्सीजन जनरेशन सिस्टम लगा है और लिक्विड ऑक्सीजन भरने की जरूरत नहीं पड़ती है. हवा में ही रिफ्यूलिंग की सुविधा के साथ राफेल में 60 घंटे अतिरिक्त उड़ान की गारंटी है.
भारत और फ्रांस दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत जहां फ्रांस ने भारतीय पायलटों को राफेल उड़ाने का प्रशिक्षण दिया. वहीं अगले 50 वर्ष तक के लिए फ्रांस राफेल के विनिर्माण, तकनीक और अन्य सभी प्रकार का सहयोग देगा.
राफेल लड़ाकू विमानों के आ जाने से भारत की सैन्य शक्ति वैश्विक स्तर पर निश्चित रूप से और मजबूत हो गयी है. यह न केवल भारत के नादान और उत्पाती पड़ोसियों के लिए प्रभावी नकेल सिद्ध होगा, बल्कि एशिया के साथ ही विश्वस्तर पर भारत की शक्ति के विस्तार व शान्ति प्रयासों में सहायक सिद्ध होगा.