रायपुर. रायपुर जिला के न्यायालय ने देश में वैमनस्य और आतंक फैलाने के आरोप में एक महिला सहित चार दोषियों को 10-10 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है. एक अन्य आरोपी को बरी किया गया है. न्यायालय द्वारा दोषी करार दिए गए समस्त आरोपी पाकिस्तान के इशारे पर काम कर रहे थे. पाकिस्तान से कॉल आने के बाद बैंक खाते खुलवाये गए. इसमें रुपए भी आने लगे और यही रुपया देश में नफरत और आतंक फ़ैलाने वालों के पास जाने लगा. न्यायालय ने आतंकवादी संगठन सिमी और इंडियन मुजाहिदीन को धन मुहैया कराने के आरोप में सजा सुनाई है.
रायपुर जिला के लोक अभियोजक केके शुक्ला ने बताया कि जिले के विशेष न्यायाधीश धनशोधन (निवारण) अधिनियम अजय सिंह राजपूत की अदालत ने आतंकवादी संगठन सिमी और इंडियन मुजाहिदीन को समय-समय पर धन मुहैया कराने के आरोप में धीरज साव, जुबैर हुसैन, आयशा बानो और पप्पू मंडल को 10-10 वर्ष कारावास की सजा सुनाई है.
धीरज साव और पप्पू मंडल जमुई (बिहार) तथा जुबैर हुसैन और उसकी पत्नी आयशा मंगलोर (कर्नाटक) के निवासी हैं. लोक अभियोजक ने बताया कि 25 दिसंबर, 2013 को पुलिस ने सूचना के आधार पर शहर के खमतराई थाना क्षेत्र में सड़क किनारे दुकान चलाने वाले धीरज साव को पकड़ा था. साव से पूछताछ की गई तो जानकारी मिली कि वह आतंकवादी संगठनों से जुड़ा हुआ है और बैंकों के माध्यम से पैसों का आदान-प्रदान करता है.
वर्ष 2011 में साव को पाकिस्तान से खालिद नामक एक व्यक्ति का फोन आया और कहा कि उनके साथ जुड़ो. उसके बाद साव ने रायपुर और जमुई के बैंकों में खाता खुलवाया और खालिद के कहने पर आतंकवादी संगठनों से जुड़े जुबैर हुसैन और आयशा बानो के खातों में पैसा जमा करवाया. पुलिस ने मामले की छानबीन की और पप्पू मंडल और सुखेन हलदर को भी गिरफ्तार किया गया. शुक्ला ने बताया कि हुसैन और उसकी पत्नी बानो को आतंकवाद के लिए धन मुहैया कराने के आरोप में पटना के आतंकवाद निरोधक दल ने मंगलोर (कर्नाटक) से गिरफ्तार किया था.