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ताजमहल कब, कैसे और क्यों बना था?

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ताजमहल के निर्माण सम्बन्धी 10 तथ्य

  1. 19 साल की अर्जुमन बानो बेगम (मुमताज महल) की शादी 21 साल के शाहजहाँ से 1612 में हुई. यह शाहजहाँ की दूसरी शादी थी. दोनों के 14 बच्चे हुए और 15वें बच्चे के प्रसव के दौरान मुमताज की मौत 1630 में बुरहानपुर में हो गयी.
  1. मुमताज के 18 साल के वैवाहिक जीवन में कुल 15 बच्चे हुए. लगभग हर साल एक बच्चा और मात्र 37 साल की उम्र में वो मर गयी. मौत के दो साल पहले ही शाहजहाँ को मुगल साम्राज्य की गद्दी मिली थी. इस मौत के बाद लगभग एक सप्ताह उसने पूरी सल्तनत का काम ठप्प करवा दिया. इतिहासकार इवी. वी. हवेल के अनुसार दो साल तक दरबार में जबरन शोक मनाया गया था. किसी भी तरह के संगीत बजाने, और त्यौहार मानाने पर प्रतिबन्ध था. यहाँ तक कि गहने पहनना भी निषेध कर दिया गया था.
  1. मुमताज को बुरहानपुर में ही दफ़न किया गया था. ऐसा माना जाता है कि छह महीने बाद, उसकी कब्र को आगरा लाया गया. यहाँ मुमताज को दफ़न करने सम्बन्धी दो तथ्य सामने आते हैं – एक राजपूत राजा मान सिंह के बेटे राजा जय सिंह की पुस्तैनी जमीन पर मुमताज को तुरंत दफ़न कर वहां एक बगीचा बना दिया गया. दूसरा मुमताज को आगरा लाने के 9 साल बाद तक एक मस्जिद में दफ़न किया गया था. यह भी ध्यान रखना चाहिए कि तब शाहजहाँ दो साल तक किसी से नहीं मिलता था और न ही दरबार में आता था. अब किसने मुमताज की विघटित हो चुके शरीर की कब्र खोदकर उसे आगरा लाने का फरमान सुनाया, जबकि बिना शाहजहाँ के कोई उसे हाथ नहीं लगा सकता था.
  1. अगर यह मान लेते है कि वास्तव में मुमताज की कब्र को आगरा लाया गया था तो पहले 9 साल तक मस्जिद में दफ़न किया गया और 1641 के आसपास ताजमहल के बगीचे में दफनाया गया होगा. यानि 10 सालों तक शाहजहाँ, मुमताज की हड्डियों अथवा कंकाल को लेकर ही यहाँ से वहां घूमता रहा. आज भी मुमताज की कब्र को लेकर पुरातत्व विभाग के पास कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. वह भी सुनी-सुनाई बातों पर यकीन करता है.
  1. आज जहाँ ताजमहल खड़ा है, वह जमीन वास्तव में राजा मान सिंह की थी. इस तथ्य को लगभग सभी भारतीय – जदूनाथ सरकार, और यूरोपियन इतिहासकार – जॉन मार्शल और इवी. वी. हवेल ने स्वीकार किया है. यहाँ तक की इस्लामिक इतिहासकारों ने भी इस तथ्य पर कोई विरोध नहीं जताया है.
  1. ताज महल को बनवाने में कुल खर्चे पर इतिहासकारों के अपने-अपने मत है. कुछ स्थानों पर इसका खर्चा 50 लाख तो कही 185 लाख रुपए तक बताया गया है. दीवान-ए-अफरीदी में खर्चा 9 करोड़ 17 लाख बताया है. न्यूयॉर्क टाइम्स में 1853 में प्रकाशित एक लेख के अनुसार 1,750,000 पौंड था. यहाँ भी कोई एकमत नहीं है.
  1. एक फ्रेंच ट्रेवलर जीन बापिस्ट टावरनियर, शाहजहाँ के शासन के दौरान भारत आया था. उसने अपनी इस यात्रा के प्रत्येक विवरण को पुस्तक के माध्यम से लिपिबद्ध किया था. जिसका अनुवाद 1889 में प्रकाशित हुआ. पुस्तक के अनुसार वह 1640-41 में पहली बार आगरा आया था. दरअसल, उसका भारत आना-जाना लगा रहता था. पेरिस से पांचवी भारत यात्रा यानि 1667 में वह सूरत में था. यह उसकी आखिरी भारत यात्रा थी. उसने अपने संस्मरण के पृष्ठ 110 पर लिखा है, “I witnessed the commencement and accomplishment of this great work (Taj Mahal).” इस आधार पर टावरनियर के अनुसार ताज महल का निर्माण 1640-41 के दौरान शुरू हुआ होगा. जबकि मुमताज की मौत के एक दशक पहले 1630 में ही हो चुकी थी. 1667 में जब टावरनियर सूरत में था, एक साल पहले 1666 में ही शाहजहाँ मर चुका था. अपनी मृत्यु से आठ साल पहले तक शाहजहाँ को औरंगजेब ने कैद करके रखा था. इस प्रकार 1658 के आसपास से ही परिवार में गद्दी को लेकर आपसी लड़ाई छिड़ चुकी थी. टावरनियर यह भी लिखता है कि “ताज महल को बनाने में 22 साल लगे थे.” अब 1641 से 22 साल 1663 में पूरे हुए. इस दौरान शाहजहाँ तो औरंगजेब की कैद में था.
  1. ताजमहल का निर्माण कब हुआ इसपर एक और कहानी पढने की मिलती है. एक स्पेनिश धार्मिक यात्री Sebastian Manrique 1641 में आगरा में था. उसे किसी ने बताया कि ताजमहल के मुख्य आर्किटेक्च इटली के डिजायनर Geronimo Veroneo ने तैयार किया था. हालाँकि वह कभी Veroneo से नहीं मिला था. यह एक सच्चाई है कि इटली के इस डिजायनर को शाहजहाँ ने 1640 में एक पुर्तगाली के हाथों मरवा दिया क्योंकि वह किसी ईसाई की हत्या हिन्दू और मुसलमान से नहीं करवाना चाहता था. आज भी उसकी कब्र लाहौर में स्थित है. अब साल 1899 में हेनरी जॉर्ज नी अपनी पुस्तक A Handbook for Visitors to Agra and Its Neighbourhood में पृष्ठ 23-24 पर लिखता है, “ताजमहल के पूरा बनने से पहले ही Veroneo मर गया था…. इस प्रकार 17 सालों तक चले निर्माण के बाद यह इमारत 1648 में जाकर निर्मित हुई.”
  1. इस तथ्य को अधिकतर इस्लामिक इतिहासकार नकार देते है क्योंकि उनके अनुसार ताजमहल का मुख्य आर्किटेक्चर शाहजहाँ के करीबी एक मुस्लिम उस्ताद अहमद लाहौरी ने बनाया था. फिर भी यह संदेह पैदा होता है कि वास्तव में ताजमहल कब बना, किसने बनाया और कब इसका निर्माण पूरा हुआ?
  1. आमतौर पर कहा जाता है कि ताजमहल को 20,000 मजदूरों ने मिलकर बनाया था. दरअसल यह तथ्य पहली बार, ब्रिटिश काल में लाहौर से प्रकाशित एक पुस्तक ‘गाइड टू द ताज एट आगरा’ के पृष्ठ 14 में मिलता है. हालाँकि, इन मजदूरों की दुर्दशा पर हेनरी जॉर्ज नी ने अपनी पुस्तक के पृष्ठ 27 पर लिखा है, “20,000 मजदूरों ने काम किया लेकिन उन्हें बहुत कम पैसे मिलते थे. उन्हें भत्ते के तौर पर मक्के के दाने दिए जाते थे, जिसकी लालची अधिकारियों द्वारा कटौती होती रहती थी. इन मजदूरों में भयानक रूप से तनाव था और मृत्यु दर अत्यधिक थी. इसलिए एक कवि ने लिखा है, कि इस संकट की घड़ी में भगवान ही हमारा रखवाला है. अच्छा होता कि हम भी मुमताज के साथ ही मर गए होते.”

देवेश खंडेलवाल

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