शिमला. जिले के कोटखाई क्षेत्र की बखोल पंचायत के लोगों ने जल संरक्षण के संकल्प का उदाहरण प्रस्तुत किया है. गांव के ग्रामीणों ने देखा कि पानी की बावड़ियां सूख गईं हैं. पशु, पक्षी और मनुष्यों के लिए पेयजल की समस्या खड़ी हो गयी है. तो ग्रामीणों ने समस्या के समाधान के लिए जल संचय की योजना बनायी. और गांव में पहाड़ी पर झील निर्माण का निर्णय लिया.
झील निर्माण करने के लिए ग्रामीण रामलाल चौहान ने प्रयास करने प्रारम्भ किये. और 2 साल पहले वन विभाग से कोटी जंगल में झील निर्माण की अनुमति मांगी. यह वन क्षेत्र लगभग 8000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. अनुमति मिलने के पश्चात ग्रामीणों का भी सहयोग लिया और जंगल में खुदाई कर चार बड़े तालाब तैयार किए गए. ग्रामीणों के दृढ़ संकल्प और मेहनत के कारण कोटी जंगल में 4 लाख लीटर क्षमता की मानव निर्मित झील बनकर तैयार हो गयी. 8000 फीट की उंचाई पर झील बनने के कारण गांव की सूखी बावड़ियां फिर से पानी से लबालब हो गईं और गांव में पानी की समस्या का समाधान हो गया.
झील बनी आकर्षण – बच्चे बोटिंग का आनंद उठा रहे
कोटखाई के कोटी जंगल में बनी यह झील लोगों के आकर्षण का केंद्र भी बन रही है. इससे स्थानीय पर्यटन को भी बढ़ावा मिलने की संभावना है. लॉकडाउन लगने से पहले तक लोग झील को देखने आते रहे. आस-पास देवदार के जंगल और सुरम्य वातावरण के कारण यह झील लोगों को आकर्षित कर रही है. झील में छोटे बच्चे बोटिंग का भी आनंद ले रहे हैं.
सर्दियों बर्फबारी न होने पर भी पानी से भरी है झील
यद्यपि, इस बार सर्दियों में क्षेत्र में कम ही बर्फबारी हुई, लेकिन फिर भी यह झील पानी से भरी हुई है. इसमें किसी भी प्रकार पानी की कमी नहीं हुई. बागीचों के लिए भी पानी ले जाया गया, जिससे गांव के लोगों की इस समस्या का भी समाधान हुआ.
कृत्रिम झील में बिलासपुर से मछलियों को लाकर डाला गया है. इससे झील में एक ओर जहां पानी की गंदगी दूर हो रही है, वहीं इससे झील की ष्षोभा में चार चांद लग रहे हैं.
गांव में रहने वाले बागवान रामलाल चौहान और आत्माराम चौहान का कहना है कि सरकार लिफ्ट के माध्यम से पानी की योजनाओं को बनाती है. अगर सरकार वनों में तालाब खोदे तो उसमें जल संचय तो होगा ही साथ लोगों की पानी की जरूरतें भी आसानी से पूरी हो जाएंगी. जलसंकट से बचने के लिए गांवों के आस-पास झीलें बनानी चाहिए.