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अनुकूल हो या प्रतिकूल हर परिस्थिति में कार्यकर्ताओं की दिशा सही रहनी चाहिए

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नागपुर, (7 अगस्त 2024). श्रद्धेय दत्ताजी डिडोळकर जन्मशती वर्ष के समापन समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि प्रतिकूल परिस्थिति में संगठन के लिए कार्यकर्ताओं का निर्माण करने वाले दत्ताजी डिडोळकर का संगठन कौशल अद्भुत था. उनसे जिस व्यक्ति की भेंट हो जाए, वह उनका हो जाता था. वास्तव में दत्ताजी सबको अपने लगते थे.

नागपुर स्थित कविवर्य सुरेश भट सभागृह में कार्यक्रम सपन्न हुआ. इस दौरान मंच पर श्री देवनाथ मठ, श्री क्षेत्र अंजनगाव-सुर्जी के स्वामी जितेंद्रनाथ महाराज जी, केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री आशीष चौहान, स्वागत समिति के सचिव एवं पूर्व राज्यसभा सांसद अजय संचेती, अरुण करमरकर आदि उपस्थित थे.

सरसंघचालक जी ने कहा कि छात्रों के जीवन में दत्ताजी का बहुत प्रभाव था. उनकी वाणी में ऐसा सामर्थ्य था कि वे अनेक कार्यकर्ताओं का निर्माण कर सके. दत्ताजी के जीवन और कार्यों का अध्ययन कर उनकी व्यक्ति को जोड़ने की कला को आत्मसात करना, यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है.

सरसंघचालक जी ने कहा कि वाणी का सामर्थ्य व्यक्ति के जीवन की तपस्या से प्रगट होता है. लोकप्रियता और साधन संपन्नता से कार्य खड़ा नहीं होता, इसके लिए कठिन परिश्रम करना होता है. अनुकूल और प्रतिकूल हर परिस्थिति में कार्यकर्ताओं की दिशा सही रहनी चाहिए. समाज की परिस्थिति बदली है, पर अपने कार्य की दिशा नहीं बदलनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि दत्ताजी डिडोळकर अजातशत्रु तो थे ही, लेकिन शुद्ध आचरण के कारण वे सभी के लिए आदरणीय थे. जिस समय अपने विचारों का उपहास किया जाता था, उस समय उन्होंने अडिग रहकर विद्यार्थी परिषद का काम किया. जिनकी छत्रछाया में काम किया, उनके गुणों को भी उन्होंने अर्जित किया. यह सुखधारा नहीं है, यह जानते हुए भी कठिनाइयों को पार कर सातत्यपूर्ण कार्य करते रहे.

कार्य को आगे बढ़ाने के लिए कार्यकर्ता के रूप में हमें कौन-से गुण अर्जित करना है, हमारा संकल्प कैसा है, नए जुड़ने वाले कार्यकर्ता के विकास के लिए हमारा चिन्तन कैसा है? इन सभी बातों पर समग्रता से हमें विचार करना चाहिए.

केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने कहा कि मेरा व्यक्तित्व गढ़ने में दत्ताजी का बड़ा योगदान रहा है. नागपुर विद्यापीठ के बनने वाले नए दीक्षांत सभागार तथा टेकड़ी गणेश मंदिर से नागपुर विद्यापीठ मार्ग पर होने वाले पुल को दत्ताजी का नाम देने की घओषणा की. इस अवसर पर दत्ताजी के जीवन पर आधारित ‘आधारवड’ नामक पुस्तिका एवं स्मारिका का विमोचन किया गया.

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