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संविधान निर्माता के नाम से ‘रामजी’ और संविधान के मूल में से रामत्व को किसने निकाला

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लखनऊ. संविधान दिवस की शुभ कामनाएं देते हुए विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि भारतीय संविधान के निर्माता व विद्वान भारत रत्न बाबा साहब भीमराव रामजी आंबेडकर के नाम में से ‘रामजी’ को और उनके बनाए हुए संविधान से भगवान श्री राम के राम दरबार को किसने हटाया? इतना ही नहीं भगवान श्री कृष्ण, भगवान महावीर, भगवान बुद्ध, वीर शिवाजी, सम्राट विक्रमादित्य, गुरू गोबिंद सिंह जी महाराज सहित भारतीय संस्कृति से जुड़े अनेक चित्रों को संविधान से किसने फाड़ा? उन्होंने यह भी पूछा कि हमारे संविधान की प्रस्तावना में ‘सेक्युलर’ शब्द को अनाधिकृत रूप से प्रक्षेपित करने के पीछे की मंशा क्या थी? आज यह सब देशवासियों को बताया जाना चाहिए.

रविवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इंदिरा नगर स्थित आर्य समाज मन्दिर के 45वें वार्षिकोत्सव में विनोद बंसल ने कहा कि आखिर देश की 75वीं वर्षगांठ यानी अमृत महोत्सव तक भी हम संविधान के नीति निर्देशक तत्वों तथा उसमें वर्णित नागरिकों के कर्तव्यों को क्यों नहीं जन-जन के कर्तव्य और सरकारों के दायित्वों की तरह प्रचारित कर पाए. आज लोग अधिकारों की बात तो करते हैं, किंतु कर्तव्यों के प्रति कुछ ही लोग हैं जो निष्ठा के साथ लगे हैं. जबकि होना इसके विपरीत चाहिए था.

उन्होंने कहा कि जब बाबा साहब के नाम से राम जी और संविधान से रामत्व को ही निकालने के षड्यंत्र किए जाएंगे तो संविधान के मूल विचार को या उसकी मूल भावनाओं को जनता आखिर कैसे आत्मसात कर पाएगी. गत सात दशकों में जो संविधान भारत का महान ग्रंथ बनना चाहिए था, सिर्फ कुछ राजनेताओं द्वारा राजनैतिक ओट लेने का साधन सा बनता जा रहा है, जो ठीक नहीं है.

दर्शनाचार्या विमलेश आर्या के ब्रह्मत्व में सम्पन्न प्रात:कालीन महायज्ञ के बाद पंडिता अलका आर्या के भजन, आचार्य शुचिशद मुनि के चारित्र निर्माण पर प्रवचनों तथा विभिन्न विद्यालयों के बच्चों की विविध प्रकार की प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया.

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