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माओवादी चर्च या मिशनरी से जुड़े लोगों पर क्यों कभी हमला नहीं करते?

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माओवादी (नक्सली) से प्रभावित देश के विभिन्न क्षेत्रों में माओवादी आतंकियों द्वारा हिंसा की जाती है, आतंक मचाया जाता है. जनजाति क्षेत्रों में ग्रामीण अपनी संस्कृति परंपरा के अनुसार पूजा करते हैं, माओवादी उसका भी विरोध करते हैं. उन्हें बरगलाने का प्रयास किया जाता है. कई बार देवी अनुष्ठान में बैठे लोगों की हत्या कर दी जाती है. समाज में जन जागरण का कार्य कर रहे लोगों के खिलाफ हिंसा होती है.

तो प्रश्न उठता है कि माओवादी हमेशा जनजागरण का कार्य कर रहे हिन्दू धर्म से संबंधित लोगों को ही निशाना क्यों बनाते हैं…? और इन क्षेत्रों में सक्रिय माओवादी कभी चर्च या मिशनरी से जुड़े लोगों को निशाना क्यों नहीं बनाते..?

एक तरफ माओवादी आतंकी अपनी वामपंथी विचारधारा को बताते हुए हमेशा गरीबों-वंचितों- वनवासियों और जनजातियों की कथित लड़ाई लड़ने का दावा करते हैं, तो दूसरी ओर जनजातियों के बीच ही उनका धर्म परिवर्तन कराने का गंदा खेल खेल रहे हैं.

छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों में माओवादी आतंक तेजी से फैलाते नजर आ रहे हैं. माओवादियों ने बीते 15 से 20 दिनों के भीतर ही 10 लोगों की हत्या कर दी है. माओवादियों द्वारा मारे गए इन लोगों में अधिकांश जनजाति समाज से आते हैं. माओवादी बस्तर के घने जंगलों से निकलकर अब धमतरी, कांकेर, राजनांदगांव और गरियाबंद जैसे शहर से लगे क्षेत्रों में भी अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं. लेकिन, माओवादी ईसाई मिशनरियों को कभी कुछ नहीं करते, ना ही कुछ कहते, इसके पीछे क्या कारण है?

हमने बीते दशकों में माओवादियों द्वारा ग्रामीणों, विद्यालयों, विकास कार्यों से जुड़ी संरचनाओं, और तो और मंदिरों पर भी हमला देखा है. लेकिन शायद ही कभी चर्च या इसाई मिशनरी से जुड़े लोगों पर माओवादियों द्वारा किए गए हमले सामने आए हैं.

माओवादियों द्वारा तीन दशक पहले बस्तर क्षेत्र में शुरू हुआ स्थानीय जनजातियों पर हमला अभी भी लगातार जारी है.

कभी माओवादी किसी ठेकेदार की हत्या करते हैं तो कभी किसी ग्रामीण की हत्या कर देते हैं. इतना ही नहीं स्थानीय निवासियों की सुविधा के लिए बनाए जा रहे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीणों के लिए घर बना रहे मजदूरों के साथ भी माओवादी मारपीट करते हैं.

यह जानकर आश्चर्य होगा कि माओवादियों ने चर्च और उससे जुड़े पादरियों पर कभी भी हमला नहीं किया है.

इन क्षेत्रों के ग्रामीणों द्वारा कई बार यह भी दावा किया जाता है कि माओवादी आतंकियों द्वारा स्थानीय ग्रामीणों को डरा धमकाकर ईसाई धर्म के प्रति भी प्रभावित करने का प्रयास किया जाता है. ऑनलाइन मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार माओवादी आतंकियों द्वारा चर्च और मिशनरी समूह को पर्याप्त मात्रा में हथियार संबंधी सहायता भी की जाती है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस बात का भी दावा किया गया है कि संस्थाएं माओवादियों को फंडिंग भी करती हैं.

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