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योगेश जाटव मॉब लिंचिंग – मृतक की दादी बोली, आरोपियों को हो फांसी

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अलवर. राजस्थान में अनुसूचित समाज के युवक योगेश की मॉब लिंचिंग में हत्या का मामला तूल पकड़ रहा है. परिजन व हिन्दू समाज योगेश की हत्या के मामले को मॉब लिंचिंग के तहत दर्ज करने की मांग कर रहे हैं. वहीं, तुष्टिकरण की राजनीति के चलते गहलोत सरकार इसे सामान्य मामला मानकर चल रही है. पूरे मामले को लेकर समाज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर हमलावर है. जबकि कांग्रेस की ओर से कोई भी नेता इस हत्याकांड पर मुंह नहीं खोल रहा. उधर, घटना को हिन्दू समाज में भी आक्रोश बढ़ता जा रहा है.

विश्व हिन्दू परिषद की ओर से शुक्रवार को अलवर में योगेश मॉब लिंचिंग में सीबीआई जांच की मांग को लेकर रैली निकाली गई. रैली में योगेश के परिजन भी शामिल हुए थे.

मृतक योगेश की रोती बिलखती दादी रामप्यारी बोली, जिन्होंने मेरे बच्चे योगेश को मारा है उन्हें फांसी होनी चाहिए. ऐसा कहते हुए दादी बिलख बिलख के रोने लगी. वो बोली अब कौन मुझे पानी पिलाएगा, अब कौन मुझे खाना खिलाएगा. मेरे बेटे के परिवार का वंश कौन बढ़ाएगा. आरोपियों ने उस नन्हे से बच्चे की मार मार कर जान ले ली.

मृतक की माता विद्या देवी बेटे की मौत के गम में बेसुध हुई पड़ी हैं. उसकी आंखों से बस आंसु निकल रहे हैं. बेटे की मौत से वो टूट चुकी हैं. परिवार व गांव की महिलाओं द्वारा उन्हें सम्भाला जा रहा है.

मृतक की बहन कविता बोली, अब हम किसे भाई कहेंगे. किसके साथ खेलेंगे. कौन हमारे मम्मी पापा का ध्यान रखेगा. हमारा भाई पढ़ाई में भी बहुत होशियार और अच्छा था. किसी का मेरे भाई ने क्या बिगाड़ा था जो इतना बुरी तरह उसे मारा गया. उसे मारने वालों को जल्द सजा मिलनी चाहिए. तभी उन्हें न्याय मिलेगा.

पिता ओमप्रकाश जाटव भी बेटे की मौत के गम में परेशान हैं. लेकिन नेताओं और लोगों से सीधा उन्हें ही मिलना पड़ता है. आने वाला हर व्यक्ति उनसे ही मिलता है. ऐसे में वह टूटकर भी खुद को संभाले हुए हैं. उनके भाई व ग्रामीण लगातार उनके साथ रह रहे हैं.

ग्रामीणों ने बताया कि योगेश जाटव पढ़ने में काफी होशियार था. इसी वर्ष उसने 10वीं बोर्ड परीक्षा अच्छे नम्बरों से उत्तीर्ण की थी. उसने 11वीं कक्षा में प्रवेश लिया था. घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वह पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बनना चाहता था, लेकिन नियति को ओर ही कुछ मंजूर था. उसकी मौत से पूरे गांव में शौक है. उसकी मौत के दिन गांव में चूल्हे तक नहीं जले.

मृतक योगेश की बहन कविता ने बताया कि वह चार बहनें और योगेश उनका इकलौता भाई था. सबसे बड़ी बहन दीपा और कविता दोनों की शादी हो गई. इसके बाद कृपा और चौथे नम्बर पर योगेश था. योगेश से छोटी एक ओर बहन मनीषा है.

घटना के समय पिता पंजाब में थे

मृतक योगेश के ताऊ रामप्रसाद ने बताया कि योगेश की हत्या भीड़ ने 15 सितम्बर को कर दी थी. तब योगेश के पिता काम करने के लिए पंजाब गए हुए थे. घटना के बाद परिजनों की सूचना पर अगले दिन उसके पिता पंजाब से अलवर पहुंचे थे. पिता पंजाब में मजदूरी करते हैं.

गिफ्तारी की मांग को लेकर रोड जाम किया था

युवक की मौत के बाद गुस्साए ग्रामीणों व परिजनों ने 19 सितंबर को अलवर-भरतपुर मार्ग पर युवक के शव को रखकर रोड जाम कर दिया था. बड़ी संख्या में महिलाएं और ग्रामीण धरने पर बैठ गए. कई घंटे बाद उनकी विभिन्न मांगों पर आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने जाम खोला था.

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