करंट टॉपिक्स

आश्रम व्यवस्था मानव जीवन का आधार – डा सुरेन्द्र जैन

Spread the love

 

VHP   VHP DELHI (1)नई दिल्ली. वेदों, उपनिषदों तथा पूज्य संतों द्वारा दिखाई गई आश्रम व्यवस्था मानव जीवन का मूलाधार है. बृह्मचर्य आश्रम जीवन को जीने के लिए आवश्यक ज्ञान, ध्यान, सुसंस्कार, ऊर्जा तथा मूल्याधारित शिक्षा ग्रहण करने का मूल स्रोत है. वहीं गृहस्थ आश्रम साधनों के उचित उपभोग, उत्तम संतति, सेवा तथा जन कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर शेष दो आश्रमों की नींव रखता है. विश्व हिन्दू परिषद की प्रवक्ता डा विजय प्रभा अग्रवाल के जीवन के साठ वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित षष्ठी-पूर्ति कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विहिप के अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डा सुरेन्द्र जैन ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने आदर्श गृहस्थ को समय पर समेटते हुए वानप्रस्थी जीवन की ओर अग्रसर होना चाहिए, जिससे उसके द्वारा पिछले दो आश्रमों में अर्जित धन, ऊर्जा, ज्ञान, संस्कार तथा अनुभव का लाभ आगे आने वाली पीढी को मिल सके. वानप्रस्थ आश्रम में व्यक्ति को एक ऐसा जीवन जीना चाहिए, जिससे सम्पूर्ण समाज और राष्ट्र प्रेरणा ले सके. उन्होंने कहा कि सांसारिक भोग वासनाओं से अलग रह कर अपने ज्ञान-विज्ञान कौशल और सेवा के माध्यम से वानप्रस्थी को सिर्फ़ समाज के लिए जीना चाहिए. डा विजया का वानप्रस्थ उस ओर द्रुत गति से बढ चला है, इस पर हमें गर्व है.

पश्चिमी दिल्ली के रोहिणी सेक्टर 7 स्थित आर्य समाज मंदिर में आयोजित षष्ठी पूर्ति यज्ञ के उपरान्त डा विजया को बधाई, शुभ कामनाएं व आशीर्वाद देने वालों में योगी स्वामी तपस्वी जी महाराज, विहिप दिल्ली के महामंत्री राम कृष्ण श्रीवास्तव, जगदीश अग्रवाल, संजीव साहनी, डा शिल्पी तिवारी, राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय सह कार्यवाहिका आशा शर्मा, हरियाणा प्रान्त कार्यवाहिका डा अंजलि जैन, उत्तर-पश्चिमी दिल्ली वेद प्रचार मण्डल के प्रधान सुरेन्द्र आर्य, आर्य समाज रोहिणी के प्रधान व मंत्री, उनकी तीनों बेटियां गरिमा, महिमा व अपाला के अलावा भारत विकास परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सहित अनेक डाक्टर और बुद्धिजीवी उपस्थित थे.

VHP   VHP DELHI (2)

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *