पटना. विद्या भारती के पूर्व राष्ट्रीय मंत्री डॉ. रामेंद्र राय जी ने कहा कि शिक्षा संस्कृति से जुड़ी होनी चाहिए और विकास के लिए तत्पर होना चाहिए. इसके लिए स्पर्धा से बड़ी चीज एक दूसरे का सहयोग है. आज पत्रकारिता में निष्पक्षता की कमी है जो इसे प्रभावित करती है. रामेंद्र जी विश्व संवाद केंद्र द्वारा आयोजित शैक्षणिक रिपोर्टिंग कार्यशाला के प्रमाण-पत्र वितरण समारोह में संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि पत्रकार में अत्यधिक व्यंग्यात्मक प्रवृति नहीं होनी चाहिए. इससे उनकी सृजनशीलता समाप्त हो जाती है. ज्ञान के आधार पर हम किसी भी क्षेत्र में शीर्षतम् स्तर पर पहुंच सकते हैं. इसके लिए सृजनात्मक, निष्पक्ष एवं साहसी होना आवश्यक है. पत्रकारिता के क्षेत्र में साहस अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है. लेखनी के लिए साहस का होना आवश्यक है, क्योंकि पत्रकारों को लिखते समय अनेक प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
समाजसेवी नित्य गोपाल चक्रवर्ती जी ने कहा कि पत्रकारों को नियम, शुद्धता एवं निष्पक्षता से काम करना चाहिए. उन्हें किताबी ज्ञान से ऊपर उठकर समाज के लिए जमीन पर रहकर काम करना चाहिए. किताबों में तो बहुत कुछ लिखा हुआ होता है, लेकिन पत्रकारिता के लिए व्यवहारिक ज्ञान आवश्यक है. व्यवहारिक ज्ञान ही पत्रकार को सर्वश्रेष्ठ बनाता है और शैक्षणिक पत्रकारिता में इसका महत्वपूर्ण स्थान है.
पत्रकार अमित कुमार ने कहा कि शिक्षा की कमी हमारे राज्य में सबसे बड़ी समस्या है. इसे सुधारने के लिए शैक्षणिक पत्रकारिता में सुधार लाना आवश्यक है. इसके लिए इस क्षेत्र में आने वाले पत्रकारों को कुशल एवं योग्य होना जरूरी है. शैक्षणिक क्षेत्र के पत्रकारों का यह उत्तरदायित्व बनता है कि वे समाज के प्रति समर्पित भाव से पत्रकारिता करें.
कार्यक्रम के अंत में शैक्षणिक रिपोर्टिंग पर आयोजित कार्यशाला में भाग लेने वाले शिक्षार्थियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए. विश्व संवाद केंद्र में चल रहे पत्रकारिता में सर्टिफिकेट कोर्स के छात्रों द्वारा शुरू की गई हिन्दी पत्रिका ‘पारिजात’ का लोकार्पण भी किया गया.