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भेद -भाव मुक्त समरस समाज का निर्माण संघ का लक्ष्य – सुभाष जी

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गोरखपुर. सरस्वती शिशु मन्दिर, वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में आयोजित रक्षाबंधन उत्सव को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, गोरक्ष प्रान्त के प्रान्त प्रचारक सुभाष जी ने कहा कि रक्षाबंधन पर्व का इतिहास हज़ारों वर्ष पुराना है, यह हमारे सभी पर्वों में सबसे महत्वपूर्ण पर्व है. रक्षाबंधन पर्व का धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक महत्व है. आज के दिन हम सभी जन राष्ट्र, समाज, पर्यावरण, संस्कृति, धर्म आदि की रक्षा का संकल्प लेते हैं. रक्षाबंधन पर्व में दूसरों की रक्षा के धर्म-भाव को विशेष महत्व दिया गया है.

भारतीय परम्पराओं का यह एक ऐसा पर्व है, जो भाई बहन के स्नेह के साथ साथ हर सामाजिक संबन्ध को मजबूत करता है. इसलिये यह पर्व भाई-बहन को आपस में जोड़ने के साथ साथ सांंस्कृतिक, सामाजिक महत्व भी रखता है.

कार्यक्रम के अध्यक्ष श्रीनिवास जी (कुलपति, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय) ने कहा कि भारत की संस्कृति सर्व समावेशी है. दूसरों की रक्षा से बड़ा कोई कर्त्तव्य नहीं जो दूसरों के बारे में सोचते हैं उनका कार्य स्वयं भगवान करते हैं. संघ में व्यक्ति का चरित्र निर्माण किया जाता है, चरित्र निर्माण से ही राष्ट्र का निर्माण होता है. संघ की विचारधारा ने निश्चित रूप से देश में एक वैचारिक क्रान्ति लाई है. संस्कार, विनम्रता, समय पालन एवं अनुशासन ही संघ की सफलता का मूल मंत्र है.

 

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