नववर्ष के उपलक्ष्य में शहर में लगाई गई थीं भगवा पताकाएं
बीकानेर. वर्ष प्रतिपदा (नववर्ष) के स्वागत के लिए स्थानीय समिति द्वारा शहर को भगवा पताकाओं से सजाया गया था. 06 अप्रैल को भव्य शोभा यात्रा भी निकाली गई थी. लेकिन शायद कांग्रेस राज में प्रशासन को रास नहीं आईं, और उन्होंने अगले ही दिन भगवा पताकाओं को उतारकर जेसीबी में एकत्रित करना शुरू कर दिया. लेकिन जैसे ही स्थानीय लोगों को इसकी जानकारी मिली तो वे मौके पर एकत्रित हो गए तथा उन्होंने विरोध शुरू कर दिया. जनता के विरोध के समक्ष प्रशासन को झुकना पड़ा और उन्होंने भगवा पताकाएं पुनः लगवाईं.
रविवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दौरे के चलते यह कवायद हुई. कहा यह भी जा रहा है कि प्रशासन पर भगवा पताकाएं हटाने का दबाव था. दरअसल, मुख्यमंत्री को 07 मार्च को जस्सूसर गेट स्थित सीताराम भवन में कार्यकर्ता सम्मेलन संबोधित करना था. इसमें भाग लेने के लिए वहां से गुजरने वाले थे. ऐसे में प्रशासन ने भारतीय नववर्ष पर एक दिन पहले लगाए झंडे-बैनर उनके रास्ते से हटवाने शुरू कर दिए. हिन्दू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं को इसकी सूचना मिली तो संयोजक जेठानंद व्यास के नेतृत्व में लोग एकत्रित हो गए और प्रशासन को विरोध का सामना करना पड़ा. गंदगी उठाने वाली जेसीबी में भगवा पताकाएं देख लोगों को आक्रोश बढ़ गया. और लोग जस्सूसर गेट क्षेत्र से झंडियां-बैनर हटा रहे दस्ते की जेसीबी के आगे बैठ गए व रास्ता जाम कर दिया.
लोगों को कहना था कि यह पताकाएं संस्कृति का प्रतीक हैं, किसी राजनीतिक पार्टी का नहीं. तो फिर प्रशासन व सरकार को भगवा रंग से चिढ़-घृणा क्यों है. तनाव बढ़ता देख मौके पर पुलिस फोर्स बुलानी पड़ी, लेकिन कार्यकर्ता नहीं हटे. एक बार तो पुलिस कर्मियों और प्रदर्शनकारियों के बीच धक्का-मुक्की की नौबत भी आ गई. आखिरकार प्रशासन ने झंडियां वापस लगानी शुरू कीं, तभी लोगों ने धरना खत्म किया.
वैसे कार्यक्रम 06 को हो गया था. बैनर झूल रहे थे, उन्हें हटाने की जरूरत थी. आचार संहिता में तो नहीं आते, लेकिन जिला प्रशासन ने हटाने को कहा था, इसलिए हटवाए. – प्रदीप गवांडे, आयुक्त नगर निगम