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मुस्लिम, ईसाई समुदाय के 150 से अधिक लोगों ने योग का प्रशिक्षण प्राप्त किया

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राउरकेला (विसंकें). योग में राम, रहीम का अंतर नहीं. यह एक विधि है, जिससे आप अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं. राउरकेला के सेक्टर 2 में संचालित उत्कल योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र में आकर अब तक 150 से अधिक अल्पसंख्यक समाज विशेष कर मुस्लिम व ईसाई समुदाय के लोग प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं. बिहार के रहने वाले योग प्रशिक्षक स्वामी सत्यबिन्दु सरस्वती जी ने दावा किया कि अब तक वह स्वयं मुस्लिम समाज के करीब 20, ईसाई संप्रदाय के 130 से अधिक लोगों को योग का प्रशिक्षण दे चुके हैं. आगामी 21 जून को घोषित अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने को लेकर मचे बवाल के बीच हकीकत यह बताने के लिए काफी है कि योग को हिन्दू धर्म की साधना विधि बताकर कुछ लोग चाहें जितना नाक-भौं बना लें. खुद को स्वस्थ रखने के लिए लोग अब योग को अपनाने में किसी तरह का परहेज नहीं कर रहे. योग केंद्र में लगभग 20 हजार से अधिक लोगों को योग का प्रशिक्षण दिया जा चुका है. गायत्री योग साधना ट्रस्ट की ओर से केंद्र का संचालन किया जा रहा है.

कुछ ऐसा है योग – ‘योग’ शब्द का अर्थ है : समाधि

अर्थात् चित्त वृत्तियों का निरोध. गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है ‘योग: कर्मषु कौशलम्’. कुछ विद्वानों का मत है कि जीवात्मा और परमात्मा के मिल जाने को योग कहते हैं. पतंजलि ने योगदर्शन में परिभाषा दी है ‘योगश्चित्त वृत्तिनिरोध:, चित्त की वृत्तियों के निरोध – पूर्णतया रुक जाने का नाम योग है. इस वाक्य के दो अर्थ हो सकते हैं – चित्तवृत्तियों के निरोध की अवस्था का नाम योग है या इस अवस्था को लाने के उपाय को योग कहते हैं. बौद्ध ही नहीं, मुस्लिम सूफी और ईसाई भी किसी न किसी प्रकार अपने संप्रदाय की मान्यताओं और दार्शनिक सिद्धांतों के साथ उसका सामंजस्य स्थापित कर लेते हैं.

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