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अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक नागपुर में शुरू, मातृ भाषा में शिक्षा पर होगा मंथन

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DSC_0144नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की वार्षिक बैठक शुक्रवार सुबह से नागपुर में शुरू हो गई. प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक का विधिवत शुभारंभ सरसंघचालक डॉ मोहन जी भागवत ने किया. तीन दिवसीय बैठक के दौरान देश व समाज से जुड़े अहम विषयों पर चर्चा होगी, साथ ही प्रांत अनुसार संघ कार्य का अवलोकन भी किया जाएगा.

बैठक के पहले दिन की अध्यक्षता सरकार्यवाह सुरेश भय्या जी जोशी ने की. वर्तमान प्रतिनिधि सभा की बैठक में मुख्य रूप से तीन विषय अहम रहने वाले हैं. जिन पर संघ द्वारा आग्रह किया जाएगा और बैठक में प्रस्ताव पारित होगा.

1. मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करना

2. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के माध्यम से समानता, सद्भाव, शांति का संदेश हर वर्ग, हर व्यक्ति तक पहुंचाना

3. समस्त संभावित क्षेत्रों में संघ कार्य का विस्तार

DSC_0165बैठक में प्रांत अनुसार प्रतिनिधियों द्वारा संघ कार्य वृत (कार्य की स्थिति) की जानकारी रखी जाएगी. जिसके आधार पर देश भर में कार्य की स्थिति का आंकलन होगा. उसके पश्चात अन्य अनुशांगिक संगठनों के प्रतिनिधयों द्वारा कार्य की जानकारी रखी जाएगी.

अनुशांगिक संगठनों से प्रमुख रूप में विश्व हिंदू परिषद से अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ प्रवीण भाई तोगड़िया, राष्ट्र सेविका समिति से प्रमुख संचालिका वी शांता कुमारी, स्वदेशी जागरण मंच से कश्मीरी लाल, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषध से सुनील आंबेकर, भाजपा से अमित शाह, राम लाल, राम माधव सहित अन्य भाग ले रहे हैं.

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक के पहले दिन गत छह माह के दौरान दिवंगत व्यक्तियों को श्रद्धांजली अर्पित की गई. संघ ने कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण, पत्रकार विनोद मेहता, केरल के सीपीएम नेता एमवी राघवन, केरल कांग्रेस के नेता कार्तिकेयन, रजनी कोठारी, महाराष्ट्र आरटीआई कार्यकर्ता गोविंदन पनसारे, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दक्षिण मध्य क्षेत्र के संघचालक टीवी देशमुख सहित अन्य दिवंगत महानुभावों की आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना की.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अगले वर्ष तृतीय सरसंघचालक पूज्य बाला साहब देवरस जी की जन्मशताब्दी पूरे देश में मनाएगा, समाज से अस्पृश्यता के भाव को दूर करने में बाला साहब देवरस जी के प्रयास सर्वविदित हैं. सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिये उनका एक संदेश मुख्य था कि यदि अस्पृश्यता पाप नहीं है तो विश्व में कुछ भी पाप नहीं है.

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