केंद्र सरकार कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद पर शिकंजा कसने के लिए निरंतर कार्रवाई कर रही है. पहले वीरवार रात (28 फरवरी) केंद्र सरकार ने जमात-ए-इस्लामी-जम्मू कश्मीर पर प्रतिबंध लगा दिया. उसके बाद जम्मू कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों में जमात-ए-इस्लामी के मदरसों और कई संस्थानों पर ताले लगने शुरू हो गए. जमात-ए-इस्लामी फलह-ए-आम एजुकेशनल संस्था के माध्यम से घाटी में सैकड़ों मदरसों और मस्जिदों को नियंत्रित करता है. केंद्र सरकार के मुताबिक जमात-ए-इस्लामी घाटी में हुर्रियत और आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के सहयोगी संगठन के तौर पर काम कर रहा है. जो पाकिस्तान की शह पर इन दोनों को तमाम आर्थिक और सांगठनिक सहायता मुहैया कराता रहा है. इसी कारण सरकार ने इस गठबंधन को तोड़ने के लिए कार्य शुरू किया है. इसी कड़ी में पहले जमात-ए-इस्लामी के सैकड़ों नेताओं को गिरफ्तार किया गया. फिर इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया. इसके बाद इसके संस्थानों पर ताला लगाने की कवायद शुरू हो चुकी है.
हालांकि घाटी में जमात-ए-इस्लामी के हिमायती और राजनीतिक संरक्षकों की कमी नहीं है. जिसका अंदाजा महबूबा मुफ्ती और सजाद लोन के ट्वीट्स से लगाया जा सकता है. जिन्होंने जमात पर बैन लगाने को लेकर सरकार पर निशाना साधा.
लेकिन केंद्र सरकार देश विरोधी तत्वों पर कोई ढील बरतने के मूड़ में नहीं है. सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार जल्द ही हुर्रियत पर भी बैन लगाने की तैयारी में है.
बांदीपोरा में एक मदरसे पर लगा ताला, केंद्र सरकार का नोटिकिशेन –