करंट टॉपिक्स

भारत सार्वभौमिक आध्यात्मिक एकता का स्रोत: मोहन भागवत

Spread the love

Sant Sammelanतुमकुर, कर्नाटक. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूज्य सरसंघचालक श्री मोहन भागवत ने सभी संत महात्माओं से आध्यात्मित जीवन मूल्यों की स्थापना हेतु विश्लेषण व आवश्यक चिंतन मनन कर एक कार्यविधि निश्चित करने का आवाहन किया है.

विश्व हिन्दू परिषद् की स्थापना के पचास वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में स्वर्ण जयंती समारोह पर यहाँ  आयोजित ऐतिहासिक संत सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए डॉ. भागवत ने कहा कि ‘भारत सार्वभौमिक आध्यात्मिक एकता का स्रोत है. भारत के प्रत्येक नागरिक के जीवन में आध्यात्मिक मूल्यों की आवश्यकता है. उन्होंने यह भी कहा कि समाज के पथभ्रष्ट लोगों को सन्मार्ग दिखाने का कार्य सदैव से संत महात्मा ही करते आये हैं. अपनी सामजिक गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा विश्व हिन्दू परिषद् प्रष्ठभूमि में रहकर इन प्रयत्नों का सहयोग करेगी.  11 नवंबर को तुमकुर कर्नाटक स्थित सिद्गंगा मठ में किया.

DSC_7312सरसंघचालक जी ने कहा कि ‘दुनिया की कुछ शक्तियां हिन्दू समाज को कमजोर रखना चाहती हैं. इस तरह की शक्तियां ही पूर्व में हमारे अपने लोगों को हमसे दूर ले गईं और बाद में उन्हें हिन्दू समाज का दुश्मन बनाया. अब आवश्यकता इस बात की है कि उन लोगों को यह याद दिलाया जाए कि वे भी हिन्दू समाज का ही हिस्सा थे और इस प्रकार उन्हें हिन्दू समाज की मुख्यधारा में वापस लाया जाए.

उन्होंने बताया कि ‘हम वसुधैव कुटुम्बकम’ की अवधारणा पर विश्वास रखते हैं. एक हिंदू के लिए हिन्दू समाज में कोई पराया (बाहरी व्यक्ति) नहीं है. भारत के प्रत्येक धार्मिक मत पंथ को परस्पर इस अवधारणा को स्पष्ट करना चाहिए. इस व्यापक अवधारणा के विषय में अपने समुदाय में हर किसी को शिक्षित करना चाहिए. लोगों के मन से, जातिवाद के संकीर्ण विचारों को खत्म किया जाना चाहिए.  ऐसा दर्पण दिखाने की आवश्यकता है जिसमें प्रत्येक हिन्दू को एकता की छवि दिखाई दे. यह काम प्रभावी रूप से हिन्दू समाज के पथ प्रदर्शक संत समाज द्वारा ही किया जा सकता है.

DSC_7261श्री मोहन भागवत ने इस अवसर पर वरिष्ठ संघ के प्रचारक चंद्रशेखर भंडारी द्वारा विश्व हिंदू परिषद् पर लिखित एक पुस्तक का विमोचन भी किया. श्री भागवत ने एक प्रमुख कन्नड़ समाचार पत्र द्वारा प्रकाशित ‘संत समागम’ विशेषांक तथा कन्नड़ साप्ताहिक विक्रम द्वारा प्रकाशित ‘संत परंपरा’ का भी विमोचन किया.

प्रारम्भ में विश्व हिन्दू परिषद् के अंतरराष्ट्रीय महासचिव श्री चम्पत राय ने कहा कि विहिप अपनी स्थापना के पचासवें वर्ष के दौरान इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है. इसमें मुख्य रूप से हिंदू समाज के सम्मुख उपस्थित विषयों पर चर्चा के अतिरिक्त सामाजिक और धार्मिक महत्व के मुद्दों पर चिंतन किया जाएगा. संतों में उन सभी समस्याओं का समाधान करने की उच्च क्षमता है जिनका हिन्दू समाज हिंदू समाज का सामना करना पड़ रहा है.

DSC_7144सिद्गंगा मठ के डॉ शिवकुमार स्वामीजी अपने उद्घाटन भाषण के दौरान विश्व हिंदू परिषद के प्रयासों की सराहना की. आर्ट ऑफ़ लिविंग के श्री श्री रविशंकर गुरुजी ने भारत की जेलों में हो रहे धर्म परिवर्तन पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने हिन्दू समाज में व्याप्त अंधविश्वास और जातिवाद जैसी सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने का भी आग्रह किया.

कार्यक्रम में हिन्दू समाज के सभी मत सम्प्रदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले लगभग छः सौ संत महात्मा एकत्रित हुए इनमें सिद्गंगा मठ तुमकुर कर्नाटक के डॉ. शिवकुमार स्वामी, विश्वेश्वर तीर्थ स्वामी, आदि चुन्चुनगिरी मठ के स्वामी निर्मलानंद जी, श्री शिवरात्री देशीकेन्द्र स्वामीजी, आर्ट ऑफ़ लिविंग के श्री श्री रविशंकरजी, बेली मठ के श्री स्वामीजी, स्वर्णवल्ली सोंडा स्वामीजी, धर्मस्थल के डॉ, वीरेन्द्र हेगड़े सहित अनेकों संतगण मंच पर विराजमान रहे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *