बालाघाट. स्वयंसेवकों के जीवन में राष्ट्रीयता व संस्कारों का प्रगटीकरण एवं संघ कार्य के विस्तार व दृढ़ीकरण हेतु बालाघाट में तीन दिवसीय शीत शिविर स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर के प्रांगण में आयोजित हुआ. समापन अवसर पर स्वयंसेवकों ने शारीरिक दक्षता, स्वर गायन, संघ घोष, संघ प्रार्थना, भारत माता वंदना का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया.
इस अवसर पर मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह शारीरिक शिक्षण प्रमुख, मुख्य अतिथि अनुराग जायसवाल, विभाग संघचालक रविंद्र श्रीवास्तव और जिला संघचालक मंचस्थ रहे.
जगदीश प्रसाद जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ करता क्या है? इसका काम है शाखा का संचालन, व्यक्तित्व का निर्माण करना. संघ के विभिन्न कार्यक्रमों को चलाना. इससे निर्मित होता है, कार्यकर्ता जो देश के लिए समर्पित होकर कार्य करता है. संघ की स्थापना 1925 में नागपुर के मोहिते का बाड़ा में डॉ. केशव हेडगेवार जी ने की थी. जिसके आज 96 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं. देश भर में संघ की शाखा चलती है, प्रति दिन 1 घंटा शाखा लगती है.
संघ केवल भारत में ही नहीं, अपितु विश्वव्यापी हो चुका है. विश्व के 42 देशों में विभिन्न माध्यमों से संघ कार्य चल रहा है. भारत के बाहर अनेक नामों से गतिविधि चल रही है. संघ निःस्वार्थ भाव से काम करता है. कार्यकर्ता भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में जाकर विभिन्न स्वरूपों में समाज के साथ काम करते हैं. अलग-अलग क्षेत्रों में 60 संगठन काम कर रहे हैं. समाज संगठित और जागृत रहे, इस दिशा में काम जारी है.
उन्होंने कहा कि अभावग्रस्त बस्तियों में स्वयंसेवक समरसता और समानता के लिए कार्यरत हैं. सभी सेवा कार्य समाज के सहयोग से संचालित हो रहे हैं. संघ की यह लंबी यात्रा आसान नहीं थी, अनेकों चुनौती का सामना करना पड़ा. डॉ. हेडगेवार ने हिन्दू संगठन का काम करके दिखाया. समाज का मनोबल बढ़ाया.
उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवकों ने त्रासदी में सराहनीय काम किया है. समाज का जागरण साधना का ही परिणाम है. आज हिन्दू समाज जग रहा है. सारा विश्व भारत के पक्ष में खड़ा है.
जगदीश जी ने कहा कि 1925 से 1948 तक संघ कार्य का पहला चरण था. 1978 में संघ के प्रति अनुकूलता का माहौल बना, जो 2011 तक चला. अब संघ की स्वीकार्यता और सहभागिता का चरण आ गया है.संघ का स्वयंसेवक संघ कार्य को भगवान का काम मानता है. इसी विश्वास को लेकर संघ काम करता है. समाज से आह्वान है कि इस श्रेष्ठ कार्य को आगे बढ़ाएं.