ईसाई मिशनरियों द्वारा प्रलोभन देकर मतांतरण कराने के मामले देशभर के विभिन्न क्षेत्रों से सामने आते हैं. इसे लेकर कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिलते हैं. लेकिन इसके बावजूद मिशनरी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे.
तमिलनाडु के वेल्लोर से एक मामला सामने आया है. जहाँ एक हिन्दू परिवार को निःशुल्क उपचार कराने के एवज में ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रलोभन दिया जा रहा था.
दरअसल, कर्नाटक का एक हिन्दू परिवार अपने 3 वर्षीय बच्चे को उपचार के लिए वेल्लोर के अस्पताल लेकर आयाथा. इस दौरान उनसे बच्चे का निःशुल्क उपचार कराने के बदले ईसाई मिशनरी ने उन्हें ईसाई धर्म अपनाने और चर्च में प्रार्थना करने के लिए कहा. जानकारी के अनुसार, इस अस्पताल का संचालन ईसाई मिशनरी द्वारा किया जाता है, इसीलिए मिशनरी के लोग धर्म परिवर्तन के लिए प्रलोभन दे रहे हैं.
रिपोर्ट के अनुसार कर्नाटक के निवासी इराना नागुर अपने 3 वर्षीय बेटे के उपचार के लिए अत्यधिक परेशान थे. अपने बेटे के उपचार के लिए अब तक 3 लाख रुपये ख़र्च कर चुके थे. उनकी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है. इसके अलावा उन्होंने उपचार के लिए दक्षिण भारत के विभिन्न अस्पतालों की यात्रा की और अंत में वेल्लोर स्थित अस्पताल में पहुँचे.
उपचार के लिए जिस अस्पताल में पहुँचे उसका संचालन ईसाई मिशनरी द्वारा किया जाता है. इसके बाद मिशनरी के लोगों ने कहा कि वे उनके बेटे का निःशुल्क उपचार कर देंगे, लेकिन इसके लिए उन्होंने कुछ शर्तें रख दी. मिशनरी ने हिन्दू परिवार से ईसाई धर्म अपनाने और कम से कम 2 माह तक चर्च में प्रार्थना करने के लिए कहा. ऐसा करने पर उसके बेटे का पूरा उपचार निःशुल्क कर दिया जाएगा.
पीड़ित परिवार ने बताया कि जब वे वेल्लोर अस्पताल पहुँचे तो अस्पताल प्रबंधन ने उनके बेटे की बोन मैरो सर्जरी के लिए 10 लाख रुपये सहित अन्य व्यवस्था करने का वादा किया, लेकिन इसके लिए उन्होंने ईसाई धर्म अपनाने की शर्त रखी. उन्होंने बताया कि वो इसके लिए तैयार भी हो गए थे.
मामला उठने के बाद कर्नाटक में बीजापुर जिले में बीएलडीई एसोसिएशन ने उनके बेटे के उपचार की बात कही. संस्था ने बच्चे का निःशुल्क इलाज कर परिवार को ईसाई बनने से बचाया है. परिवार ने कहा कि अब उन्होंने ईसाई धर्म अपनाने की योजना छोड़ दी है.