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श्रीराम जन्मभूमि मंदिर – दिसंबर 2023 तक पूरा होगा प्रथम चरण का निर्माण; 2025 तक पूरा हो जाएगा तीनों चरणों का निर्माण कार्य

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अयोध्या. अयोध्या में 71 एकड़ में बन रहे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के पहले चरण का काम अगले साल दिसंबर में पूरा हो जाएगा. मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया जा रहा है. साथ ही इस तरह डिजाइन व निर्मित किया जा रहा है कि यह भव्य मंदिर कम-से-कम 1,000 साल तक हर परिस्थिति में अपनी भव्यता और आभा बिखेरता रहे.

मंदिर का निर्माण कार्य तीन चरणों में पूरा होगा. पहले चरण का काम 30 दिसंबर, 2023 को पूरा होगा. तत्पश्चात भगवान श्रीराम मंदिर के गर्भगृह में विराजित हो जाएंगे. दूसरा चरण 30 दिसंबर, 2024 को पूरा होगा. इसमें मंदिर की पहली और दूसरी मंजिल का काम पूरा हो जाएगा. कलाकृति बनाने का काम छोड़कर लगभग सारा काम पूरा हो जाएगा. अंतिम चरण में साल 2025 तक मंदिर के पूरे 71 एकड़ का काम पूरा हो जाएगा.

दूरदर्शन के साथ साक्षात्कार में मंदिर निर्माण प्रक्रिया को लेकर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा कहते हैं, “ये हमारे लिए चुनौती थी. हमारे इंजीनियरों के लिए भी चुनौती थी. इंजीनियर कहते थे कि इसके हमारे पास कोई मापदंड ही नहीं है. तो हम ये कैसे कहेंगे कि ये एक हजार साल होगा. इसके बाद अध्ययन किया गया. पुराने मंदिरों को देखा गया, उनका विश्लेषण किया गया.”

बताया गया कि मंदिर में लोहा का प्रयोग नहीं किया जाए, क्योंकि लोहे का जीवन सिर्फ 94 साल का होता है. लोहे के अलावा, लोहा और सीमेंट को मिलाकर जो RCC होता है, उसे नहीं करने का निर्णय किया था.

मंदिर की फाउंडेशन को लेकर नृपेंद्र मिश्रा कहते हैं, “नींव के लिए करीब-करीब 15 मीटर यानि 3 मंजिला इमारत के बराबर मिट्टी हटा दी गई और उसमें इंजीनियर्ड मिट्टी डाली गई. IIT चेन्नै, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रूड़की और IIT कानपुर ने मिलकर बताया कि ऐसे फॉर्मूलेशन से मिट्टी बनाई जाए, जिसकी गुणवत्ता 28 दिन में स्टोन की तरह हो जाए. इस तरह 15 मीटर नींव को भरा गया वो एक तरह से पत्थर भरा गया.”

“15 मीटर भरने के बाद उसका अगला लेयर करीब 3 मीटर का था, उसे राफ्ट कहा जाता है, उसे बनाया जाना था. उस राफ्ट की भी गुणवत्ता यही होनी थी कि वह भी स्टोन जैसा हो. इसमें एक सबसे महत्वपूर्ण चुनौती आई. जब हम राफ्ट (सीमेंट आदि के मिश्रण) को डालते हैं और उसमें क्रैक आ जाए तो वह स्वीकार नहीं है. शुरू की जो पहली 9 लाइन बनीं, उनमें क्रैक आ गए. जाँच के बाद कम्बाइंड रिपोर्ट में कहा गया कि तापमान को नियंत्रित करना होगा और स्लैब को छोटा करना होगा.”

मंदिर के प्लींथ को लेकर बताया कि यह करीब 3.5 मीटर – 4 मीटर की है. उस पर सबने ग्रेनाइट डालने की बात कही. इसकी वजह ये है कि ग्रेनाइट पानी बिल्कुल नहीं सोखता, स्टोन क्वालिटी बेस्ट है, उसकी यूनिफॉर्मिटी का मुकाबला नहीं है. हालाँकि, लागत बहुत है लेकिन यह महत्वपूर्ण नहीं था. इसके बाद जब ग्रेनाइट डाला जाने लगा तो देखा गया कि एक-एक स्लैब दो टन का है. इस तरह सात लेयर पड़ेंगे, तब प्लींथ का काम पूरा होगा. इसके लिए कर्नाटक के सबसे बेस्ट माइंस से ग्रेनाइट के 17,000 ब्लॉक्स मँगाए गए. उन्हें मँगाने से पहले नमूने को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टोन रिसर्च को भेजा गया. जब उन्होंने सर्टिफाई किया, तब उसे मँगवाया गया.

अयोध्या के कारसेवकपुरम में पिछले 30 साल से तराशे जा रहे पत्थरों को लेकर मिश्रा ने कहा कि जाँच दल को बुलाकर उस स्टोन की जाँच कराई गई और उनमें से 40 प्रतिशत पत्थर को सही पाया गया, जिन्हें वर्तमान आर्टिटेक्ट अनुसार इस्तेमाल किया जा सकता है. बाकी जो पत्थर हैं, उनका उपयोग पिलर बनाने में किया जाएगा और अगर उसके लिए सही नहीं पाए गए तो उनका उपयोग नहीं किया जाएगा. इसी तरह कारसेवकों ने जो गाँव-गाँव से लाखों ईंट इकट्ठा किए थे, उन्हें भी नीचे डाल दिया गया है और वे आज मंदिर का हिस्सा हैं.

मंदिर नागर शैली में बन रहा है. इसे इसलिए चुना गया, क्योंकि माना गया कि यह अयोध्या में सबसे अधिक स्वीकृत होगी. मंदिर में मंडप कैसा होगा, स्तंभ कैसे होंगे, पिलर के किस-किस लेयर पर कौन-कौन से भगवान होंगे, गर्भगृह के सामने प्रहरी कौन होगा, गर्भगृह के सामने हनुमान जी और गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना कैसे होगी. ये सारी चीजों पर नागर शैली में विस्तृत चर्चा है.

मंदिर में भगवान के स्वरूप को लेकर मिश्रा ने बताया कि भगवान का वर्तमान स्वरूप तो मंदिर में स्थापित होगा ही, लेकिन एक दूसरी मूर्ति की भी प्राण प्रतिष्ठा होगी, क्योंकि 19 फीट की दूरी से श्रद्धालुओं को देखना है. जो नई प्रतिमा स्थापित होगी, उसकी आँखें सम्मुख हों, ताकि आँखों से आँखों का संपर्क बने. उनके पदचिह्न सम्मुख हों. यह विग्रह 2.5 से 3 फीट का हो सकता है. मंदिर समिति के कोषाध्यक्ष गोविंददेव गिरी जी की अध्यक्षता में यह कार्य़ हो रहा है.

मंदिर का मुख्य भवन 8 एकड़ में फैला होगा. इसकी लंबाई 360 फीट और चौड़ाई 235 फीट होगी. मंदिर का शिखर 161 फीट ऊँचा होगा. यह शिखर गर्भगृह के ठीक ऊपर स्थित होगा. तीन तल वाले इस मंदिर पर कुल 366 स्तंभ होंगे. प्रत्येक स्तंभ पर धर्मग्रंथों पर आधारित चित्र उकेरे जाएँगे. मंदिर के पूर्व दिशा में सिंह द्वार स्थित होगा, यही मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार होगा.

सिंह द्वार के आगे नृत्य मंडप, रंग मंडप, गृह मंडप और सबसे अंत में गर्भगृह होगा. गर्भगृह में भगवान राम अपने भाइयों- लक्ष्मण, भरत और शत्रुध्न के साथ विराजमान होंगे. गर्भगृह के ऊपर प्रथम तल पर राम दरबार का निर्माण होगा. इसमें भगवान राम माता जनकी, अपने तीनों भाइयों, भक्त हनुमान और अन्य देवी-देवताओं के साथ विराजमान रहेंगे.

खुदाई की दौरान मिले कलाकृतियों के लेकर मिश्रा ने बताया कि मंदिर बनाने के दौरान खुदाई के दौरान भी कलाकृतियाँ मिलती रहीं. शुरू में शिवलिंग मिला, जो अद्भुत था. ये कलाकृतियाँ कुछ कमिश्नर के यहाँ हैं, कुछ सुप्रीम कोर्ट ने लॉक करा दिया है. जितनी कलाकृतियाँ मिली हैं, उन्हें देखने के लिए कोर्ट की अनुमति लेनी पड़़ती है. जब यहाँ म्यूजियम बन जाएगा, तब उसमें इन्हें प्रदर्शित किया जाएगा.

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