नई दिल्ली. एक गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) ने प्रधानमंत्री और 2002 गुजरात दंगे को लेकर बनाई गई बीबीसी की डॉक्युमेंट्री के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में मानहानि का मुकदमा दायर किया है. गुजरात की गैर सरकारी संस्था ने याचिका दायर की है. याचिका में डॉक्युमेंट्री को भारत, इसकी न्यायपालिका और प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा पर धब्बा बताया गया है. जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने सोमवार को बीबीसी सहित अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर तलब किया है.
‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ नाम की डॉक्युमेंट्री में गुजरात दंगों को लेकर सवाल उठाए गए हैं. ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय की अप्रकाशित रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए दंगों के दौरान नरेंद्र मोदी (तत्कालीन मुख्यमंत्री गुजरात) की कार्रवाई पर सवाल उठाए गए. इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने इसे प्रोपेगेंडा बताया था. गौरतलब है कि 2002 दंगों के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को सर्वोच्च न्यायालय से भी क्लीनचिट मिल चुकी है.
गैर सरकारी संस्था जस्टिस फॉर ट्रायल की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि डॉक्युमेंट्री ने भारत के लोगों का अपमान किया है. जस्टिस सचिन दत्ता ने बीबीसी से इस पर जवाब मांगा है. वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि पूरे सिस्टम, न्यायपालिका सहित संवैधानिक तंत्र का अपमान किया गया है. अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि डॉक्युमेंट्री में प्रधानमंत्री को लेकर तथ्यहीन आरोप लगाए गए हैं.
समन जारी करते हुए कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा, ‘यह तर्क दिया गया है कि डॉक्युमेंट्री न्यायपालिका और भारत के प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा की मानहानि करती है. सभी स्वीकार्य तरीकों से प्रतिवादियों को नोटिस जारी करें.’
जिला कोर्ट ने भी जारी किया था नोटिस
इससे पहले 3 मई को दिल्ली की एक जिला कोर्ट ने भी विनय कुमार सिंह की तरफ से दाखिल मानहानि मामले में BBC, विकिमीडिया और इंटरनेट आर्काइव को नोटिस जारी किया था. याचिका में कहा था कि भारत में इस डॉक्यूमेंट्री पर बैन लग चुका है, इसलिए इन तीनों कंपनियों को इसे प्रकाशित करने से रोका जाना चाहिए.