कोलकत्ता (विसंकें). संत सीताराम केदिलाय जी की पद यात्रा 15वें राज्य में प्रवेश कर गई है. ग्राम विकास का संदेश लेकर अगस्त 2012 में कन्याकुमारी से शुरू हुई पद यात्रा 14 यात्रों से होकर गुजर चुकी है. 05 मार्च को दार्जिलिंग जिले के नक्सलावड़ी क्षेत्र के बुढ़ागंज से प्रवेश किया. 7 मार्च को हाथी डोवा से यात्रा से शुरू हुई तथा विभिन्न स्थानों पर ग्रामीणों ने यात्रा का स्वागत किया. संत सीताराम जी ने स्थानों पर गांव वासियों को संबोधित किया. हातीघिसा में उन्होंने कहा कि सच्चा एवं सही भारत गांवों में बसा है. गांव बचंगे तो भारत और भारतवासी बचेंगे, गांव छोड़कर शहरों की ओर पलायन बंद करना होगा. पलायन को रोकने के लिये जल, जंगल, जमीन, गांव की हरियाली, गौ, गांव की संस्कृति का संरक्षण करना होगा. ग्रामीण उद्योग, कुटीर उद्योग को बढ़ाना होगा, तभी गांधी जी सपनों का भारत बन पाएगा.
संत सीताराम जी ने युवक युवतियों गांव की खुशहाली, ग्राम विकास, बेहतर जनजीवन के लिये करणीय कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की. तत्पश्चात गांव में भिक्षा याचना कर भोजन किया. गांव के विभिन्न घरों में संपर्क कर ग्राम विकास का संदेश दिया और अपनी पदयात्रा का उद्देश्य विस्तार से समझाया. शाम की सभा के लिये आमंत्रित किया.
गांव में ही शाम को आयोजित एकत्रीकरण की शुरूआत भजन कीर्तन से हुई. उसके पश्चात उन्होंने कहा कि आत्म विस्मृति के कारण भारत का पतन हुआ है. विश्व में प्रमुख रूप से तीन विचारधाराओं – चिंतन को लेकर लोग चलते हैं. पहली, अमेरिकी भोगवादी चिंतन, जिसके अनुसार विश्व एक बाजार है, सभी वस्तुएं बिकती है, उनकी खरीददारी करनी है. दूसरा चिंतन-विचारधारा कहती है विश्व एक युद्धस्थली है, सभी इंसान सैनिक हैं, उन्हें आपस में युद्ध करते रहना है. तीसरा है भारतीय चिंतन या भारतीय विचारधारा, जो कहती है कि पूरा विश्व एक परिवार है (वसुधैव कुटुंबकम), हमारे संतों, ऋषियों ने जीवन जीने की कला सिखायी है, उसी से विश्व कल्याण, विश्व शांति संभव है. मां अमृतानंदमयी, बाबा रामदेव, श्रीश्री रविशंकर, चिन्मय मिशन, गायत्री परिवार, रामकृष्ण मिशन, स्वामी नारायण सनातन जीवन दर्शन का अनुसरण करने के लिये प्रेरित कर रहे हैं, इसी मार्ग से भारत को फिर से विश्व गुरू बनाया जा सकता है. क्षेत्र के सांसद ने भी संत सीताराम जी से भेंट की.
उन्होंने ग्रामीणों को प्रतिदिन छह करणीय कार्यों का संकल्प भी करवाया और इसकी नियमित निगरानी का जिम्मा युवा मंडली, मातृ मंडली, प्रौढ़ मंडली को सौंपा.
– प्रतिदन श्रम सेवा से स्वच्छ ग्राम
– प्रतिदिन एक अनपढ़ को एक अक्षर का ज्ञान करवाना
– प्रतिदिन एक भूखे को अन्नदान करना
– हरियाली की रक्षा, स्वयं पेड़ काटना नहीं, किसी को काटने भी नहीं देना, हर सप्ताह एक पेड़ लगाना
– सभी ने मिलकर गांव को व्यसन, नशा मुक्त बनाने के लिये प्रयास करना
– हर व्यक्ति में भगवान है, नर सेवा नारायण सेवा को याद कर सेवा कार्य करना