इजरायल और हमास के बीच युद्ध के दौरान हमास के बंकरों को लेकर काफी चर्चा होती रही। हमास के इस्लामिक आतंकी इजरायली हमलों से बचने और हथियारों को रखने, इजरायल पर हमला करने के लिए भी इन बंकरों का उपयोग करते थे।
अपने देश में भी माओवादी आतंकी ऐसे ही बंकरों का उपयोग कर रहे हैं। हथियारों को बनाने से लेकर उनका भंडारण करने, छिपने-छिपाने से लेकर भारतीय सुरक्षाबलों पर हमला करने में बंकरों का उपयोग किया जा रहा है। यह सब कुछ हो रहा है बस्तर में, और इन बंकरों का उपयोग कर रहे हैं कम्युनिस्ट आतंकी, अर्थात माओवादी। बंकरों के सामने आने की कहानी शुरू होती है 06 जनवरी से, जब माओवादियों ने सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हुए हमला किया, जिसमें 8 जवान और एक वाहन चालक वीरगति को प्राप्त हुए।
माओवादियों ने यह हमला बीजापुर जिले में किया था, जो घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना जाता है। हमले के बाद से यह अनुमान था कि सुरक्षा बल के जवान उचित जवाब देंगे, और इसी की योजना बननी शुरू हुई।
बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा की सीमा से लगा हुआ क्षेत्र माओवादियों का सबसे बड़ा गढ़ माना जाता है, इस क्षेत्र में खूंखार माओवादी हिड़मा एवं देवा का प्रभाव है। अब सुरक्षा बलों ने सीधे शीर्ष माओवादियों को ढेर करने के उद्देश्य से रणनीति बनाई और इसके लिए माओवादियों को ट्रेस करना शुरू किया। इसी बीच एक इनपुट मिला कि सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर की सीमा पर माओवादियों की एक बड़ी टीम मौजूद है। सूचना में यह भी पता चला था कि यहां बटालियन नंबर 1 और सेंट्रल रीजनल कमेटी के माओवादी आतंकी मौजूद हैं। माओवादियों की उपस्थिति का पता चलते ही उन्हें तीनों ओर से घेरने की योजना बनाई, जिसके बाद 14 जनवरी को 1500 से 2000 की संख्या में जवान बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा की ओर से आगे बढ़े। इसमें डीआरजी, कोबरा, सीआरपीएफ के जवान शामिल थे।
डीआरजी के जवानों ने तलपेरु नदी के पास सर्च अभियान के दौरान कुछ संदिग्ध देखा, उन्हें जमीन के भीतर कुछ होने का अंदेशा हुआ। लकड़ी और पत्तों से ढकी जमीन देखकर जवान भी हतप्रभ थे। जवानों ने लकड़ी और पत्तियों को हटाया, सामने एक सीढ़ी दिखाई दी, जो सीधे जमीन के भीतर जा रही थी। सीढ़ी जमीन के 10 फीट नीचे जाती थी, अंदर 12 से 14 फीट चौड़ा बंकर, जिसमें बड़ी मात्रा में हथियार और बम बनाने की मशीन रखी हुई थी, साथ ही बारूद और तार भी पड़े हुए थे। ऐसा लग रहा था कि यह केवल छिपने के लिए बनाया हुआ बंकर नहीं, बल्कि हथियारों और बम के निर्माण के लिए बनाया गई कोई फैक्ट्री थी। जवानों ने हथियार, बम एवं बारूद सहित सारा सामान बरामद कर बंकर को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। बंकर में 15 से 20 माओवादी हथियार, गोला-बारूद के साथ आसानी से छिप सकते थे। यह उनका ‘हाईड ऑउट प्लेस’ था, जिसे जवानों ने जमींदोज कर दिया।
यह माओवादियों का पहला बंकर नहीं है, जिसे जवानों ने खोजा और नेस्तनाबूद किया है। पिछले वर्ष ही जवानों ने दंतेवाड़ा जिले में इंद्रावती नदी के समीप सर्च ऑपरेशन के दौरान एक बंकर खोजा था, उस बंकर में एक साथ 80 से 100 माओवादी छिप सकते थे, जिसे जवानों ने तोड़ दिया था।
वहीं 6 जनवरी को माओवादियों द्वारा किए गए हमले का बदला केवल बंकर तोड़कर नहीं लिया गया है, सुरक्षा बलों ने 12 माओवादियों को ढेर किया है। इस सफल ऑपरेशन में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है, जिसकी सराहना बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक ने भी की।